नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Case) में जाने से रोक दी गई महिला रेहाना फातिमा और बिंदु अम्मिनी की याचिका पर कोई आदेश देने से मना कर दिया. चीफ़ जस्टिस ने कहा कि कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिनसे देश में हालात विस्फोटक हो सकते हैं, ये मुद्दा भी एक ऐसा ही है. हम कोई हिंसा नहीं चाहते. मंदिर में पुलिस की तैनाती कोई बहुत अच्छी बात नहीं है. यह बेहद भावनात्मक मुद्दा है. हज़ार साल से वहां परंपरा जारी है.


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इसके साथ ही चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि पिछले साल आया सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों का फैसला अंतिम नहीं है. अब मामला 7 जजों की बेंच में जा चुका है. वही बेंच महिलाओं के वहां जाने पर फैसला लेगी. सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमला मंदिर में जाने से रोक दी गई महिला रेहाना फातिमा और बिंदु अम्मिनी की याचिका पर कोई आदेश देने से मना कर दिया.


7 जजों की बेंच करेगी सुनवाई
उल्‍लेखनीय है कि 14 नवंबर को सबरीमाला मंदिर मामले (Sabarimala Case) में दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने 3:2 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए मामला बड़ी बेंच को भेज दिया था. अब 7 जजों की संविधान इस मामले की सुनवाई करेगी. कोर्ट ने पुराने फ़ैसले पर कोई रोक नहीं लगाई. यानी मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं लगाई गई. चीफ जस्टिस ने कहा था कि याचिकाकर्ता इस बहस को पुनर्जीवित करना चाहते हैं कि धर्म का अभिन्न अंग क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूजा स्थलों में महिलाओं का प्रवेश सिर्फ मंदिर तक सीमित नहीं है. मस्जिदों में भी महिलाओं का प्रवेश का मुद्दा शामिल है. सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्यीय संविधान पीठ अब केवल सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े मामले की ही सुनवाई नहीं करेगी बल्कि इसके साथ मस्जिदों और दरगाहों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश और पारसी महिलाओं के 'खतना' जैसी प्रथा पर भी सुनवाई करेगी.