नई दिल्ली: 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के महानायक सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) एक ऐसे अधिकारी थे, जिनकी बात काटने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता था. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) से साफ शब्दों में कह दिया था कि अभी सेना युद्ध के लिए तैयार नहीं है. इसके बाद इंदिरा गांधी को उन्हें तैयारी के लिए कुछ महीनों का समय देना पड़ा. दिसंबर 1971 में जब भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ, तो मानेकशॉ ने भारत को अब तक की सबसे शानदार सैन्य जीत का तोहफा दिया. 


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अपनी वीरता के लिए सैम मानेकशॉ को कई सम्मान प्राप्त हुए. 1972 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, इससे पहले वह पद्म भूषण से भी सम्मानित हो चुके थे. 1973 में उन्हें फील्ड मार्शल का पद दिया गया. 27 जून 2008 को सैम मानेकशॉ दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए.  


सैम मानेकशॉ का पूरा नाम होरमुजजी फ्रामदी जमशेदजी मानेकशॉ था और उनका जन्म तीन अप्रैल 1914 को अमृतसर में हुआ था. बचपन से ही निडर और बहादुरी की वजह से उनके चाहने वाले उन्हें सैम बहादुर कहते थे. सैम मानेकशॉ ही एकलौते ऐसे व्यक्ति थे, जो प्रधानमंत्री की बात मानने से इनकार करने की हिम्मत रखते थे. दरअसल, इंदिरा गांधी चाहती थीं कि पाकिस्तान से युद्ध मार्च के महीने में लड़ा जाए. लेकिन सैम जानते थे कि युद्ध के लिए तैयारी पूरी नहीं है, ऐसे में उन्होंने इंदिरा को लड़ने के लिए मना कर दिया था. हालांकि, इंदिरा गांधी से इससे नाखुश थीं, लेकिन फिर भी उन्होंने तैयारी के लिए अतिरिक्त समय देना ही बेहतर समझा. सैम ने उनसे कहा था कि अभी हमारी सेना तैयार नहीं है, यदि अभी युद्ध लड़ा तो हार जाएंगे. क्या आप जीत नहीं देखना चाहती?


बांग्लादेश युद्ध में भारत को मिली जीत के बाद सैम मानेकशॉ काफी लोकप्रिय हो चुके थे. तब ऐसी अफवाहें उड़ने लगी थीं कि वे तख्तापलट कर सकते हैं. तब इंदिरा गांधी ने उन्हें बुलाकर उनसे पूछा- 'सुना है कि आप तख्तापलट करने वाले हैं. क्या ये सच है?' सैम मानेकशॉ ने कहा- 'आपको क्या लगता है? आप मुझे इतना नाकाबिल समझती हैं कि मैं ये काम भी नहीं कर सकता!' फिर रुक कर वे बोले- 'देखिये प्राइम मिनिस्टर, हम दोनों में कुछ तो समानताएं हैं. मसलन, हम दोनों की नाक लंबी है पर मेरी नाक कुछ ज्यादा लंबी है आपसे. ऐसे लोग अपने काम में किसी का टांग अड़ाना पसंद नहीं करते. जब तक आप मुझे मेरा काम आजादी से करने देंगी, मैं आपके काम में अपनी नाक नहीं अड़ाऊंगा.'


ये भी देखें-
 
देश दुनिया के इतिहास में 27 जून को दर्ज घटनाएं इस प्रकार हैं:


1693: लंदन में महिलाओं की पहली पत्रिका ‘लेडीज मरकरी’ का प्रकाशन शुरू हुआ.
1838: राष्‍ट्रगीत के र‍चयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्‍याय का जन्‍म.
1867: बैंक ऑफ कैलिफार्निया का संचालन शुरू हुआ.
1914: अमेरिका ने इथोपिया के साथ वाणिज्य संधि पर हस्ताक्षर किए.
1940: सोवियत सेना ने रोमानिया पर हमला बोला.
1957: ब्रिटेन की मेडिकल रिसर्च काउंसिल की एक रिपोर्ट में बताया गया कि धूम्रपान की वजह से फेफड़ों का कैंसर हो सकता है.
1964: तीन मूर्ति भवन को नेहरू संग्रहालय बनाया गया.
1967: लंदन के एनफील्ड में विश्व का पहला एटीएम स्थापित किया गया.
1967: भारत में निर्मित पहले यात्री विमान एचएस 748 को इंडियन एयरलाइंस को सौंपा गया.
1991: युगोस्लाविया की सेना ने स्लोवेनिया के स्वतंत्र होने के 48 घंटे के भीतर ही इस छोटे से देश पर हमला कर दिया.
2002: जी-8 देश परमाणु हथियार नष्ट करने की रूसी योजना पर सहमत हुए.
2003: अमेरिका में समलैंगिकता पर प्रतिबंध रद्द किया गया.
2005: ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की वीटो रहित स्थायी सदस्यता का समर्थन किया.
2008: माइक्रोसॉफ्ट कार्पोरेशन के चेयरमैन बिल गेट्स ने अपने पद से इस्तीफा दिया.
2008: भारत और पाकिस्तान ने ईरानी गैस पाइप लाइन परियोजना को चालू करने में आ रही बाधाओें को दूर किया.