Helicopter Ambulance: आसमान से आएगी ‘संजीवनी’, कॉल करने के 20 मिनट के अंदर मिल जाएगी हेलीकॉप्टर एंबुलेंस, ऐसे कर सकते हैं बुक
Air Ambulance: नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हाल ही में `संजीवनी` सेवा को लॉन्च किया है जिससे विशेषकर पहाड़ी और दूर दराज के मुश्किल पहुंच वाले इलाकों के जरुरतमंद मरीजों को वक्त पर मदद मिल सके.
Air Ambulance Service: एम्स ऋषिकेश से अब संजीवनी देश के कोने कोने में जाएगी. संजीवनी यानी कि पहाड़ी इलाकों और दूर दराज के इलाकों में मौजूद बीमार लोगों के लिए हेलीकॉप्टर एंबुलेंस सर्विस - जिसकी शुरुआत सरकार ने कर दी है. कोशिश की जा रही है कि ये सेवा हर मौसम में और हर वक्त उपलब्ध करवाई जा सके. इसके लिए देश में तीन डेडिकेटेड हेलीकॉप्टर कॉरिडोर बनाए गए हैं. हेलीकॉप्टर ऑपरेटर इस काम के लिए आगे आएं और उन्हें सेवा शुरु करने में दिक्कत ना हो इसके लिए हेली सेवा पोर्टल की शुरुआत की गई है. मेडिकल सेवा के लिए लैंडिंग और पार्किंग चार्ज भी हटा दिया गया है.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हाल ही में 'संजीवनी सेवा' को लॉन्च किया है जिससे विशेषकर पहाड़ी और दूर दराज के मुश्किल पहुंच वाले इलाकों के जरुरतमंद मरीजों को वक्त पर मदद मिल सके. फिलहाल भारत में 141 एयरपोर्ट हैं - जिनकी संख्या अगले 5 सालों में बढ़ाकर 200 की जाएगी.
एम्स ऋषिकेश में होगा केंद्र
हेलीकॉप्टर एंबुलेंस सेवा का केंद्र एम्स ऋषिकेश में बनाया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के तहत 6 महीने के लिए सेवा शुरु की जाएगी. कोशिश की जा रही है कि पहली कॉल के 20 मिनट के अंदर हेलीकॉप्टर मरीज तक पहुंच जाए. हेलीकाप्टर में एक मरीज को ले जाने के लिए स्ट्रेचर और एक डॉक्टर की व्यवस्था होगी.
एक पायलट के पास आवश्यक चिकित्सा उपकरण मौजूद होंगे. हेलीकाप्टर बिना ईंधन भरे 300 किमी की दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम होगा. जो सर्विस आपरेटर इन शर्तों को पूरा कर सकेगा उसी के साथ सरकार कॉन्ट्रैक्ट करेगी. इस पूरी सर्विस का केंद्र एम्स ऋषिकेश का हेलीपैड होगा. क्योंकि संचालन के क्षेत्र में पहाड़ी इलाके शामिल हैं, इसलिए एयर ऑपरेटर को संचालन के लिए प्रशिक्षित पायलट देना ज़रुरी होगा. हवाई संचालन DGCA नियमों द्वारा नियंत्रित होंगी.
नॉर्मल एंबुलेंस जैसी सुविधाएं
एयर एंबुंलेंस सर्विस थोड़ी खर्चीली ज़रुर होती है लेकिन ये मरीज को बचाने और मुश्किल इलाकों से अस्पताल तक लाने में कारगर होती है. नॉर्मल एंबुलेंस की तरह इसमें भी ऑक्सीजन, खून पतला करने की दवा, सांस लेने में दिक्कत होने पर ब्रीदिंग सिस्टम होता है. इसमें बीपी और पल्स मॉनिटर, हार्ट रेट मॉनिटर होते हैं. यानि ये एक अस्पताल के वार्ड की तरह काम करता है.
ऐसे कराई जाती है बुकिंग
अभी तक कई प्राइवेट विमान कंपनियां एयर एंबुलेंस की सुविधा देती हैं और आप फ्लाइट में टिकट बुक करने की तरह इसकी बुकिंग कराई जा सकती हैं. मरीज की हालत को ध्यान में रखते हुए एयर एंबुलेस बुक की जा सकती है.
अगर सरकारी व्यवस्था से एयर एंबुलेंस बुक करनी है तो इसके लिए आपको सरकारी हॉस्पिटल और डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन से बात करनी होती है. इनसे बात करने के बाद उस वक्त के हालात के आधार पर एंबुलेंस की सुविधा मिल सकती है. अगर कहीं पहाड़ी इलाकों या सुदूर इलाकों में कोई डिजास्टर हो जाए तो भी सरकार की ओर से एयर एंबुलेंस बुक की जाती है.
एयर एम्बुलेंस बुक करने का खर्च आमतौर 5-6 लाख या इससे ज्यादा भी हो सकता है. अगर सरकारी व्यवस्था है तो वो मुफ्त मिल सकती है लेकिन एमरजेंसी हालात में सरकारी व्यवस्था से एंबुलेंस मिलने में बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं.
(ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर)