Sarfaraz Khan Test Debut: भारतीय क्रिकेट टीम की नीली Cap पहनना और भारत के लिए खेलना. किसी भी क्रिकेटर के लिए Dream Come True यानी सपना पूरा होने जैसा है. जब कोई क्रिकेटर भारतीय टीम की Cap पहनता है तो वो क्षण ना सिर्फ उसके लिए बल्कि उसके पूरे परिवार के लिए बेहद खास होता है. आज भारतीय क्रिकेट टीम की Cap पहनने का अवसर सरफराज खान को मिला.


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असल में गुरूवार को गुजरात के राजकोट में England के खिलाफ खेले जा रहे Test Match में दो खिलाड़ियों ने डेब्यू किया. सरफराज खान और ध्रुव जुरेल. सरफराज खान को अनिल कुंबले और ध्रुव जुरेल को दिनेश कार्तिक ने भारतीय क्रिकेट टीम की नीली Cap पहनाई. दोनों खिलाड़ियों के लिए आज का खास दिन था, लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो गई. जिनमें एक पिता अपने बेटे के सपने को पूरा होता देख भावुक हो गए.


Test Cap मिलने के बाद सरफराज पिता के पास पहुंचे और..
इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनने के लिए सरफराज खान के पिता नौशाद खान और उनकी पत्नी रोमाना जहूर राजकोट के निरंजन शाह स्टेडियम में मौजूद थीं. जब पूर्व क्रिकेटर अनिल कुंबले ने सरफराज खान को अपने हाथों से Cap पहनाई तो स्टेडियम में मौजूद सरफराज के पिता भावुक हो गए, उनके आंखों से खुशी के आंसू छलक गए. एक पिता के लिए इससे बड़ी बात भला क्या हो सकती थी, कि उनके बेटे को भारत के लिए खेलने का अवसर मिला है. Cap मिलने के बाद सरफराज पिता के पास पहुंचे और उन्हें गले लगा लिया, इसके बाद सरफराज ने उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम की Cap दिखाई. नौशाद खान ने Cap को हाथ में लिया और उसे चूमकर अपनी खुशी का इजहार किया. ऐसे ऐतिहासिक अवसर पर एक पिता का भावुक होना स्वाभाविक है.


आंसुओं को पोंछते हुए देखा गया:
स्टेडियम में मौजूद सरफराज खान की पत्नी रोमाना जहूर इस ऐतिहासिक पलों को देखकर अपने आंसू रोक नहीं पाई, खुद सरफराज को तस्वीरों में रोमाना के आंसुओं को पोंछते हुए देखा गया. रोमाना के लिए ये गर्व की बात थी कि उनके पति अब भारत के लिए क्रिकेट खेलेंगे. क्योंकि, सरफराज खान का भारतीय क्रिकेट टीम में सेलेक्शन होना बहुत बड़ी बात है. सरफराज देश के उन चुनिंदा क्रिकेटर में शामिल हो गये हैं, जिन्हें टेस्ट क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला है.


- आज सरफराज खान को Cap नंबर 311 मिली है, मतलब सरफराज भारतीय टीम के 311वें टेस्ट मैच खिलाड़ी बने हैं.
- आजादी से पहले जून 1932 में भारतीय क्रिकेट टीम ने पहला टेस्ट मैच खेला था, पिछले 92 वर्षों में अबतक टेस्ट टीम में सिर्फ 311 खिलाड़ी ही शामिल हुए सके हैं. इनमें नया नाम सरफराज खान का जुड़ा है.
इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सरफराज खान की उपलब्धि कितनी बड़ी है, सरफराज के लिए ये उपलब्धि इसलिए भी खास है कि इसके लिए उन्हें पूरे 10 वर्षों तक इंतजार करना पड़ा. अक्सर दो-तीन वर्षों में जब किसी क्रिकेटर का भारतीय टीम में सेलेक्शन नहीं होता, तो वो खिलाड़ी उम्मीद ही छोड़ देते हैं. वो घरेलू क्रिकेट तक ही सीमित रह जाते हैं. उन्हें लगने लगता है कि कुछ नहीं होने वाला.

लेकिन सरफराज का ना हौसला कम हुआ, ना उन्होंने हिम्मत हारी. अपने खेल पर Focus किया और लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहे. जिसका नतीजा ये हुआ कि आज वो दिन आ गया जिसका सरफराज को एक दशक से इंतजार था.


सरफराज को इस दिन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा, क्योंकि First Class क्रिकेट की शुरूआत सरफराज ने दिसंबर 2014 में की थी. जिसके बाद घरेलू क्रिकेट में वो लगातार अच्छा खेलते रहे.
- First Class क्रिकेट के 45 मैच की 66 Innings में सरफराज ने उनहतर दशमलव पिचासी की औसत से 3,912 रन बनाए हैं.
- First Class क्रिकेट में सरफराज के नाम 14 शतक और 11 अर्धशतक हैं. साथ ही एक तिहरा शतक भी सरफराज के नाम है. सरफराज का अधिकतम स्कोर नाबाद 301 रन का है.
- इतना ही नहीं First Class क्रिकेट में सरफराज ने 443 चौके और 73 छक्के भी लगाए हैं.
- सरफराज खान ने T20 में 96 मैच की 74 Innings में बैटिंग की है, और उनका स्ट्राइक रेट 128 से ज्यादा का रहा है.


अब आप सोचिए कि जिस खिलाड़ी की घरेलू क्रिकेट में इतनी शानदार परफॉर्मेंस रही हो. उसका एक दशक बाद भारतीय टीम में सेलेक्शन होना, किसी को भी भावुक कर सकता है. उस पिता का भावुक होना लाजमी है, जिसके सपने को उसके बेटे ने पूरा कर दिखाया होगा.


सरफराज खान ने आज अपने पहले ही मैच में शानदार बैटिंग करते हुए 62 रनों की पारी खेली. और देश को जो उम्मीदें उनसे थी, उसपर खरा उतरने की कोशिश की. अभी 26 साल के सरफराज की अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में शुरूआत है. सरफराज के पिता को उम्मीद है कि उनका बेटा बहुत आगे जायेगा. सरफराज को आज नई पहचान मिल गई है, लेकिन उनकी क्रिकेट प्रतिभा को आज से 14 साल पहले ही पहचान लिया गया था. हालांकि, सरफराज और उनके परिवार का क्रिकेट से बरसों पुराना नाता रहा है.


- सरफराज खान का जन्म 27 अक्टूबर उन्नीस सौ सत्तानवें में मुंबई में हुआ था, पिता नौशाद खान भी अपने समय में क्रिकेट खेला करते थे.
- रणजी ट्रॉफी में खेल चुके नौशाद खान भारतीय टीम में जगह नहीं बना पाए थे, लेकिन बेटे को इस मकाम पर देखना चाहते थे.
- सरफराज की मां तबस्सुम House Wife हैं, जबकि दो भाई मुशीर खान और मोईन खान भी क्रिकेट खेलते हैं.
- 12 वर्ष की उम्र में सरफराज की क्रिकेट प्रतिभा सामने आई, सरफराज ने हैरिस शील्ड इंटर स्कूल टूर्नामेंट में Highest Score का रिकॉर्ड तोड़ा.
- सरफराज ने रिज़वी स्प्रिंगफील्ड स्कूल के लिए 56 चौकों और 12 छक्कों के साथ 439 रन बनाए.
- सरफराज ने अपने शुरूआती शिक्षा मुंबई से पूरी की, हालांकि क्रिकेट के प्रति सरफराज का लगाव इतना था कि 4 साल तक स्कूल नहीं गए.
- सरफराज के सपने को पूरा करने के लिए पिता नौशाद खान ही उनके कोच बन गये, जिसके बाद सरफराज की बल्लेबाजी में निखार आया.


सरफराज की सफलता को लेकर हमने उनके पिता नौशाद खान से बात की, उनका क्या कहना है आपको सुनवाते हैं. सरफराज खान अपने शुरूआती दिनों में मुंबई के क्रॉस मैदान में क्रिकेट खेलते थे और तब उनके कोच सचिन सावंत हुआ करते थे. जिन्होंने सरफराज की प्रतिभा को शुरुआत में ही पहचान लिया था, और उसे निखारने में मदद की थी. आज ना सिर्फ सरफराज बल्कि उनके पिता का भी सपना पूरा हुआ है. और ये इसलिए संभव हो सका कि पिछले 10 वर्षों में सरफराज ने हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत करते रहे. अब हर क्रिकेट प्रेमी को यही उम्मीद है कि सरफराज अपनी प्रतिभा से भारतीय क्रिकेट टीम की मजबूत कड़ी बनेंगे. Input DNA