नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आर्टिकल 370 (Article 370) हटाने के बाद नाबालिगों को हिरासत में रखने के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस पैनल को जांच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट से लोगों के संपर्क नहीं कर पाने का दावा सही नहीं है. 


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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कश्मीर में बच्चों को कथित तौर पर हिरासत में लिए जाने का मुद्दा उठाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगा क्योंकि यह नाबालिगों से जुड़ा अहम मुद्दा है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट मिली है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों द्वारा हाई कोर्ट में अप्रोच न कर पाने का आरोप गलत है.  



CJI रंजन गोगोई ने कहा कि हमेे इसकी विरोधाभासी रिपोर्ट भी मिली है. क्योंकि इसमें बच्चों को बंदी बना कर रखने का आरोप है. इसलिए हम हाई कोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस पैनल को आदेश देते हैं कि वह इन आरोपों की जांच कर और अपनी रिपोर्ट 1 सप्ताह में कोर्ट को दे. याचिकाकर्ता ने कहा कि एक लड़के को बिना किसी कसूर के हिरासत में रखा गया है. 


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जिस लड़के के बंदी होने की बात कही जा रही है. उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को सौंपा गया था. उसके परिजनों ने हाई कोर्ट में अप्रोच किया था. CJI ने कहा कि हम कश्मीरी बच्चे  से संबंधित मुद्दे को देखेंगे. लेकिन लोग हाई कोर्ट अप्रोच नहीं कर पा रहे, ये आरोप गलत हैं.