Plane Security Guideline in Hindi: इंडियन एविएशन इंडस्ट्री के लिए बीता सप्ताह काफी कठिन रहा है. इस सप्ताह विभिन्न एयरलाइंस की फ्लाइटों में बम की धमकियों की बाढ़ आ गई. इन सूचनाओं के बाद विमानों का जगह- जगह इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी, जिससे लोगों का कीमती समय और फ्यूल दोनों बर्बाद हो गए. हालांकि बाद में हुई जांच में ये धमकियां खोखली पाई पाई गईं. पिछले सप्ताह 34 और रविवार को इस तरह की 14 धमकियां मिलीं. ऐसे में सवाल है कि जब भी एयरलाइनों को इस तरह की कोई धमकी मिलती है तो क्या होता है. क्या इसके लिए कोई सिक्योरिटी प्रोटोकॉल बना हुआ है या सबकुछ प्लेन के पायलटों पर छोड़ दिया जाता है. 


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विमानों में सुरक्षा के लिए बेहद कड़े नियम


एविएशन इंडस्ट्री के एक्सपर्टों के मुताबिक विमानों में पैसेंजर की सेफ्टी के लिए बेहद कड़े सुरक्षा नियम फॉलो किए जाते हैं. कब, किसको क्या एक्शन लेना है, इसके लिए बाकायदा DGCA ने एक गाइडलाइन बना रखी है. सभी विमानन कंपनियों और उनमें काम करने कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से इस गाइडलाइ का पालन करना होता है. अगर कोई कंपनी इनका उल्लंघन करते हुए पाई जाती है तो उस पर भारी जुर्माना लगाने के साथ ही उसके प्लेनों को ग्राउंड किए जाने का आदेश भी दिया जा सकता है. 


सिविल एविएशन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, 'आमतौर पर लोकल सिविल एविएशन अथॉरिटी या एयरलाइन ऑफिस को ये धमकियां मिलती हैं. पहले इन पर विचार किया जाता है कि क्या ये वाकई असली है या महज फर्जी धमकी है. जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि धमकी झूठी है, तब तक सुरक्षा उपायों का कड़ाई से पालन किया जाता है.'


प्रोटोकॉल के बारे में जानने वाले सूत्रों के मुताबिक, विमानों में बम के बारे में आमतौर पर 2 तरह की धमकी मिलती है. पहली धमकी को स्पेसिफिक थ्रेट कहा जाता है, जिसमें फ्लाइट नंबर के साथ ही उसके उड़ान भरने या आने और आने- जाने वाले स्थानों की डिटेल देते हुए उसे बम से उड़ाने की धमकी दी जाती है. वहीं दूसरी धमकी नॉन-स्पेसिफिक होती है, जिसमें प्लेन की कोई खास जानकारी दिए बगैर उन्हें उड़ाने की धमकी दी जाती है.


आम तौर पर मिलती हैं 2 तरह की धमकियां


इनमें से किसी भी तरह की धमकी मिलने के बाद सबसे पहले दोनों धमकियों में अंतर किया जाता है. अगर कोई स्पेसिफिक धमकी मिलती है तो पायलट को तुरंत अलर्ट करके आपातकालीन उपाय लागू करने के लिए कहा जाता है. इन उपायों में पायलट को अपने नजदीकी सिविल या मिलिट्री एयरपोर्ट पर प्लेन की लैंडिंग करनी होती है. 


इसके बाद पायलट नजदीकी एयरपोर्ट ट्रेस करके वायरलेस के जरिए उसे हालात के बारे में बताकर इमरजेंसी लैंडिंग की अनुमति मांगता है. वहां से प्रमीशन मिलने के बाद प्लेन को आबादी से दूर किसी एकांत एयरपोर्ट पर उतार दिया जाता है. इस दौरान यात्रियों में अफरा-तफरी फैलने से बचाने के लिए उन्हें बम की धमकी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती बल्कि केवल यह बताया जाता है कि तकनीकी दिक्कतों की वजह से प्लेन को डायवर्ट किया जा रहा है. 


प्लेन उतारकर होती है गहनता से जांच


नीचे उतरने के बाद प्लेन में सवार यात्रियों और क्रू मेंबर्स को उनके हैंड लगेज के साथ सुरक्षित तरीके से एयरोड्रोम के सिक्योर रूम में ले जाया जाता है. इसके बाद वहां पर उनके सामान की गहन जांच होती है. साथ ही सुरक्षा एजेंसियां पूरे प्लेन की बारीकी से जांच करती हैं. जब तक एजेंसियां इस बात से निश्चिंत नहीं हो जाती कि प्लेन की उड़ान में कोई खतरा नहीं है, तब तक उसे दोबारा टेक ऑफ की अनुमति नहीं दी जाती. 


वहीं अन-स्पेसिफिक धमकी मिलने पर सभी एयरलाइनों को मैसेज जारी कर अलर्ट किया जाता है. जिसके बाद नीचे खड़े विमानों की सभी कंपनियां अपने- अपने स्तर पर जांच करवाती हैं. साथ ही हवा में उड़ रहे प्लेनों के क्रू मेंबर भी बिना यात्रियों को भनक लगे विमान की गुप्त जांच शुरू कर देते हैं. अगर उन्हें कोई संदेहास्पद चीज या व्यक्ति नजर आता है तो यात्रियों को जानकारी दिए बिना प्लेन को नजदीकी एयरपोर्ट पर उताकर पूरे विमान की गहनता से जांच करवाई जाती है.