नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजों के बाद राज्य में अभी तक नई सरकार का गठन नहीं हुआ है. हालांकि बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन को बहुमत तो मिल गया है लेकिन सीएम पद को लेकर दोनों ही पार्टियां अड़ी हुई हैं. इसी बीच नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि एनसीपी के सभी नेता और कार्यकर्ताओं ने इस चुनाव में काफी मेहनत की है. उन्होंने कहा कि जब ऐसा साथ सभी का मिलता है तो जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है.


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किसानों को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए पवार ने कहा कि राज्य में किसानों की स्थिति ठीक नहीं है. इस बात का हमें ध्यान रखना होगा. किसानों को सूखा और बाढ़ से बहुत नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है. हमें इस ओर भी काम करना होगा. 50 प्रतिशत फैक्टरी बंद पड़ गयी है.



हज़ारों लोगों की नौकरी जा चुकी है. ये बंद पड़ी फैक्टरी फिर से खुलनी चाहिए. जिनकी नौकरी गई है, उनकी नौकरी फिर से मिलनी चाहिए. मेरे विधायक इस दिशा में काम करेंगे. पवार ने कहा कि बहुत जल्द राम मंदिर मामले में फैसला आनेवाला है. जो भी फैसला हो सभी को स्वीकार करना चाहिए. कुछ लोग इसका फायदा उठाने की कोशिश करेंगे.


कोई 2 कम्युनिटी आपस मे नहीं लड़े. देश में शांति होनी जरूरी है. मुंबई की लोकल ट्रेन में रोजाना बढ़ी संख्या में लोग यात्रा करते है. हर दिन कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है. कई लोग अपने शरीर का हिस्सा गंवा दे रहे हैं. ये बड़ा ही गंभीर मामला है. मैं अपने विधायकों और नेताओं से लोगों के लिये और भी मेहनत करने की अपील करता हूं.


उन्होंने कहा कि 370 तो ठीक है. लेकिन सरकार आज महत्वपूर्ण प्रश्नों पर बात नहीं कर रही है. वे महत्वपूर्ण प्रश्नों पर 370 की बात करती है. हम नौकरी की बात करते हैं तो वो 370 कहते हैं. हम किसानों की बात करते है तो वो 370 की बात करते हैं. उधर अजित पवार को एनसीपी विधायक दल का नेता चुना गया है. 


महाराष्ट्र विधानसभा में  एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की है
महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी को जहां 105 सीटें मिली हैं, वहीं शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली है. वहीं एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की है. विधानसभा चुनाव में गठबंधन के आधार पर मैदान में उतरने वाली शिवसेना और बीजेपी के बीच अभी भी सीएम को लेकर पेंच फंसा हुआ है. शिवसेना कह रही है कि 50-50 के फार्मूले के तहत दोनों पार्टियों को सरकार चलाने का मौका मिलना चाहिए. वहीं बीजेपी का कहना है कि पहले ही तय चुका था कि पांच साल तक बीजेपी का ही सीएम रहेगा.