शौर्य: अब्दुल हमीद, भारत का वो युद्ध नायक जिसने अकेले नेस्तनाबूद कर दिए थे कई पाक टैंक
Abdul Hamid: 15 अगस्त को देश आजादी का 75वां स्वतंत्रता दिवस (75th Independence Day) मनाने जा रहा है. इस मौके पर देश के सबसे लोकप्रिय चैनल Zee News ने `शौर्य` नाम से एक खास सीरीज की शुरुआत की है. इस सीरीज में हम आपको देश के लिए मर-मिटने वाले जवानों की शौर्य (Shaurya) गाथा बता रहे हैं.
Param Vir Chakra awardee Havildar Abdul Hamid: हवलदार अब्दुल हमीद की शौर्यगाथाः 15 अगस्त को हम आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं. इस अवसर पर देश के सबसे लोकप्रिय चैनल Zee News ने देश के लिए मर-मिटने वाले भारतीय सेना के जवानों की याद में 'शौर्य' नाम से एक खास सीरीज शुरू की है. इस सीरीज में हम आपको देश के लिए शहीद हुए जवानों की शौर्य गाथा बता रहे हैं. आज हम आपको 1965 में पाकिस्तान से हुए युद्ध के नायक और परमवीर चक्र विजेता हवलदार अब्दुल हमीद के बारे में बता रहे हैं. हमीद ने देश के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दी थी. हवलदार अब्दुल हमीद ने पाकिस्तान के 5 टैंकर्स नष्ट कर दिए थे. आइए आपको बताते हैं देश के लिए ये लड़ाई कैसे लड़ी गई और इसमें हवलदार अब्दुल हमीद की भूमिका क्या थी.
1965 में भारत ने पाकिस्तान को सिखाया था सबक
1965 में पाकिस्तानी सेना ने पंजाब के असल उत्तर में बख्तरबंद डिवीजन के साथ आक्रमण किया था. पाकिस्तान इस क्षेत्र को कब्जा करना चाहता था. जिसके बाद भारतीय सेना ने निर्णायक रुख अपनाया. पाकिस्तान के हमले को विफल करते हुए भारत ने पाक सेना को उल्टे पैर भागने पर मजबूर कर दिया था. इस युद्ध में पकिस्तानी सेना के कई पैटन टैंकों को भारतीय सेना ने नष्ट कर दिया था या उनपर कब्जा कर लिया था. इस युद्ध में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी अधिकारियों और सैनिकों को युद्ध कैदियों के रूप में गिरफ्तार भी किया गया.
हवलदार हमीद पाक सेना पर पड़े थे भारी
तत्कालीन पश्चिमी सेना कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरबक्श सिंह ने अपनी किताब 'वार डिस्पैच' में उल्लेख किया है कि 4 माउंटेन डिवीजन ने जल्दबाजी में 8 सितंबर की सुबह असल उत्तर में एक बचाव क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था. तब लड़ाई 8 से 10 सितंबर तक हुई थी. जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तानी हमला विफल हुआ. भारतीय सेना ने इस जंग में पाकिस्तानी सेना के 97 टैंकों को तबाह कर दिया था. जिनमें से हवलदार अब्दुल हमीद ने अकेले 7 पाक टैंकों को तबाह किया था.
अब्दुल हमीद की शौर्य गाथा
अब्दुल हमीद एक जीप पर सवार रिकोलेस गन्स की टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे. भारतीय सेना की ये टुकड़ी असल उत्तर के आसपास के गांवों के खेतों में दुश्मन के टैंकों निशाना बना रही थी. 10 सितंबर की दोपहर 4 ग्रेनेडियर्स के सैनिकों पाकिस्तानी कमांडरों के काफिले पर फायरिंग शुरू की. पाकिस्तानी टुकड़ी टोही के लिए खेमकरण-भिक्किविंड मार्ग से नीचे आ रहे थे. भारतीय सेना के हमले में पाकिस्तानी आर्टिलरी कमांडर, ब्रिगेडियर एआर शमी मारे गए और उनके शरीर को भारतीय सैनिकों ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ युद्ध के मैदान में दफना दिया. 9 और 10 सितंबर को अब्दुल हमीद भी उसी इलाके में पैटन टैंकों को निशाना बना रहे थे. 10 सितंबर को उन्होंने गन्ने के खेतों में 7 पाकिस्तानी टैंकों को बहुत ही कम दूरी से हमला करते हुए उड़ा दिया. इस दौरान वे दुश्मन के एक टैंक की चपेट में आ गए और उनकी जीप पर सीधी टक्कर लगने से वे देश के लिए लड़ते-लड़ते शहीद हो गए. इसी जगह अब्दुल हमीद युद्ध स्मारक भी बनाया गया है. वीरता के इस सर्वोच्च कार्य के लिए CQMH अब्दुल हमीद को देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. उनकी स्मारक के पास भारतीय सेना द्वारा कब्जा किया पाकिस्तानी पैटन टैंक आज भी खड़ा है.
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