Sheikh Khursheed: हूबहू इंजीनियर रशीद जैसी शक्ल! आज जम्मू-कश्मीर असेंबली में पोस्टर लहराने वाला `हमशक्ल` कौन था?
J&K Assembly: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में लगातार दूसरे दिन जमकर हंगामा हुआ. गुरुवार को बात उस वक्त इतनी बिगड़ गई जब हूबहू राशिद इंजीनियर की तरह दिखने वाले एक पूर्व शिक्षक ने सदन की कार्रवाई के दौरान 370 की बहाली की मांग से जुड़ा बैनर लहरा दिया.
Scuffle in J-K Assembly: जम्मू-कश्मीर में चुनावी रणभेरी अगस्त में बजी थी. कुछ दिन बाद बारामूला के सांसद इंजीनियर राशिद को कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई थी. इस बात को अबदुल्ला फैमिली और नेशनल कांफ्रेंस (NC) ने जमकर भुनाया. NC ने इंजीनियर की पार्टी को बीजेपी की B पार्टी और उन्हें 'मोहरा' बताकर जो हवा बनाई, उसका उन्हें भरपूर फायदा मिला. 'इंजीनियर' को जोर का झटका लगा. पार्टी की हार और अंतरिम जमानत की मियाद खत्म होने के बाद उन्होंने सरेंडर कर दिया. ऐसे में गुरुवार को J&K विधानसभा में हूबबू इंजीनियर जैसे दिखने वाले शख्स ने बैनर लहराया तो बवाल मच गया.
राशिद इंजीनियर का हमशक्ल कौन?
आपको बताते चलें कि लोगों की हैरानी की वजह क्या थी? चुनावी तीजों के बाद विधानसभा का पहला सत्र चल रहा है. जहां रोज हंगामा हो रहा है. बुधवार को सदन में जय श्री राम के नारे लगे थे. गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में 370 की बहाली की मांग करने को लेकर जमकर बवाल मचा. जिस विधायक ने 370 के समर्थन में बैनर लहराया था, उसकी शक्ल राशिद इंजीनियर से मिलती थी. ऐसे में हाथापाई का वीडियो देखने वाले यह बात सोचकर दंग रह गए, क्योंकि 'इंजीनियर' सांसद हैं और फिलहाल जेल में हैं तो भला विधानसभा में वो कैसे पहुंच सकते हैं?
कौन हैं खुर्शीद?
खुर्शीद अहमद शेख, का इंजीनियर राशिद से खून का रिश्ता है. दोनों भाई हैं. खुर्शीद ने अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) के कैंडिडेट के रूप में लंगेट सीट से मात्र 1602 वोटों से जीत हासिल की थी. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, शेख को 25,984 वोट मिले थे. जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के इरफान सुल्तान को 24,382 वोट मिले थे.
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मतगणना के शुरुआती दौर में शेख पिछड़ गए लेकिन आखिर में उन्होंने बढ़त बनाई और जीत हासिल कर ली. आपको बताते चलें कि लैंगेट सीट पर उनसे पहले उनके भाई इंजीनियर राशिद ही दो बार विधायक रह चुके थे.
शेख, सरकारी स्कूल में टीचर थे. उन्होंने जून में लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद पद से इस्तीफा देकर नौकरी छोड़ दी थी. इसी चुनाव में उनके भाई इंजीनियर राशिद ने उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को हराया था. इसके बाद उन्होंने भाई की सीट से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंच गए.