नई दिल्ली: एमसीडी चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक बड़ा झटका लगा है. शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में अरविंद केजरीवाल पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने दावा किया है कि उनको दिल्ली की केजरीवाल सरकार के बारे में गंभीर करप्शन की जानकारी मिली है. अजय माकन ने बाकायदा ट्वीट करके कहा कि 'ब्रेकिंग न्यूज़! अभी शुंगलू समिति की रिपोर्ट आरटीआई से मिली! इसने केजरीवाल सरकार की 404 फाइलों को जांचा. कांग्रेस का दावा है कि इसमें भ्रष्टाचार के गंभीर मामले मिले हैं.


केजरीवाल पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप


दिल्ली की केजरीवाल सरकार के प्रशासनिक फैसलों में संविधान और प्रक्रिया संबंधी नियमों के उल्लंघन की बात शुंगलू समिति ने अपनी रिपोर्ट में उजागर की है. पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक वीके शुंगलू की अध्यक्षता वाली समिति ने केजरीवाल सरकार के फैसलों से जुडी 404 फाइलों की जांच कर कमेटी ने केजरीवाल पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. 


मोहल्ला क्लीनिक के सलाहकार पद पर सवाल


शुंगलू कमेटी ने दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक के सलाहकार पद पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की बेटी की नियुक्ति को गलत बताया है. साथ ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी के दफ्तर के लिए आवंटित बंगले के फैसले को भी अनुचित ठहराया है. स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष को घर मुहैया कराने पर भी सवाल उठाए गए हैं.


कई फैसलों पर उठाए सवाल


रिपोर्ट के मुताबिक आम आदमी पार्टी के विधायक अखिलेश त्रिपाठी को अनुचित ढंग से टाइप 5 बंगला आवंटित कर दिया. निकुंज अग्रवाल को स्वास्थ्य मंत्री का ओएसडी बनाए जाने पर सवाल उठाया गया है. अग्रवाल अरविंद केजरीवाल के रिश्तेदार हैं. इसके अलावा दिल्ली में सीसीटीवी लगाने, मोहल्ला क्लीनिक और भ्रष्टाचार की शिकायत के लिए फोन नंबर 1030 शुरू करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट को खास तौर पर आम आदमी पार्टो के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि इसका खामियाजा दिल्ली नगर निगम के चुनावों में उसे भुगतना पड़ सकता है.


नजीब जंग ने अगस्त 2016 में बनाई थी शुंगलू समिति


शुंगलू समिति एक तीन सदस्यीय समिति है जिसे पूर्व दिल्ली एलजी नजीब जंग ने अगस्त 2016 में बनाई थी जिसका काम था केजरीवाल सरकार के डेढ़ साल के कार्यकाल में हुए सभी फैसलों की समीक्षा करके उनकी कानूनी वैद्यता को जांचना. अगस्त 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने जब एलजी को ही दिल्ली के लिए सर्वेसर्वा बताया तो एलजी नजीब जंग ने पूर्व सीएजी वीके शुंगलू की अध्यक्षता में एक समिति बनाकर जांच बैठाई थी.