DNA with Sudhir Chaudhary: सिद्धू मूसेवाला के मर्डर से क्या है कनाडा का कनेक्शन? भारत से भागे भगोड़ों का बना अड्डा
Sidhu Musewala Murder Case and Canada Connection: पंजाब में 28 साल के मशहूर सिंगर सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Musewala) की हत्या का कनाडा से क्या कनेक्शन है. आखिर विकसित देशों में गिना जाने वाला कनाडा कैसे भारत विरोधियों का अड्डा बनता जा रहा है.
Sidhu Musewala Murder Case and Canada Connection: हमारे देश में एक खबर की काफी चर्चा हो रही है और वो खबर है पंजाब में 28 साल के मशहूर सिंगर सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Musewala) की खुलेआम की गई हत्या की. इस हत्या की जिम्मेदारी कनाडा (Canada) में बैठे एक गैंगस्टर ने ली है, जिसका नाम है गोल्डी बराड़. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे पंजाब का रिमोट कंट्रोल अब कनाडा में बैठे कुछ लोगों के हाथों में चला गया है.
जिस गैंगस्ट ने सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Musewala) की हत्या करवाई, वो कनाडा में है. पिछले साल जब किसान आन्दोलन हुआ था, तब भी इसे कनाडा से ही ऑपरेट किया जा रहा था. पंजाब को भारत से अलग करने के लिए जो खालिस्तान आन्दोलन चलाया जाता है, वो भी कनाडा से ही ऑपरेट होता है. यानी इस पूरी कहानी के केन्द्र में एक ही देश है और वो है कनाडा (Canada).
उत्तर भारत में छोटे-बड़े 40 गैंग
इस हत्याकांड के पीछे गैंगवॉर को सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है. असल में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में छोटे बड़े 40 से ज़्यादा गैंग मौजूद हैं. ये दो धड़ों में बंटे हुए हैं. इनमें सिद्धू मूसेवाला की हत्या के लिए लॉरेंस बिश्नोई गैंग को ज़िम्मेदार माना जा रहा है. बड़ी बात ये है कि इस गैंग को चलाने वाला लॉरेंस बिश्नोई खुद इस समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में बन्द है. पंजाब पुलिस के मुताबिक, लॉरेंस बिश्नोई ने सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Musewala) की हत्या कराने के लिए कनाडा में बैठे अपने साथी गोल्डी बराड़ की मदद ली और उसने खुद फेसबुक पर लिखी अपनी एक पोस्ट में इस हत्याकांड की ज़िम्मेदारी ली है. इसके पीछे विक्की मिद्दूखेड़ा की मौत को वजह बताया है.
विक्की मिद्दूखेड़ा भी एक गैंगस्टर था लेकिन पिछले साल पंजाब में उसकी हत्या कर दी गई थी. इस हत्या में तब सिद्धू मूसेवाला के मैनेजर शगनप्रीत का नाम सामने आया था. इसीलिए लॉरेंस बिश्नोई गैंग के लोग ये मानते थे कि इस गैंगस्टर की हत्या सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Musewala) ने कराई है. जिसकी वजह से पहले उन्हें जान से मारने की कई धमकियां दी गई और बाद में उन्हें बीच सड़क पर घेर कर मार दिया गया. संक्षेप में कहें तो ऐसा लगता है कि सिद्धू मूसेवाला की हत्या गैंगवॉर में गई. लेकिन जो बात नोट करने वाली है, वो ये कि पंजाब में जो अलग अलग गैंगस्टर हैं, उनके तार और इस हत्याकांड के तार एक ही देश से जुड़ते हैं और वो देश है कनाडा.
गोल्डी बराड़ पर 16 से ज्यादा मुकदमे दर्ज
गोल्डी बराड़ नाम के जिस गैंगस्टर ने इस हत्याकांड की ज़िम्मेदारी ली है, वो कनाडा (Canada) में ही रहता है. इस गैंगस्टर का असली नाम सतेंद्रजीत सिंह है और ये पंजाब के मुक्तसर का रहने वाला है. लेकिन आजकल ये अपनी दुकान कनाडा में खोल कर बैठा हुआ है. इस पर भारत में हत्या, अवैध हथियारों की खरीद फरोख्त और रंगदारी के 16 मुकदमे दर्ज हैं और इसे कनाडा से लाने की भी कोशिशें की जा रही हैं. हालांकि इस गैंगस्टर को लगता है कि भारत की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां कनाडा में इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगी.
अब यहां जिस बात पर आपको सबसे ज्यादा ध्यान देना है, वो ये कि इस समय पंजाब का रिमोट कंट्रोल कनाडा के पास है. जिस गैंगवॉर में सिद्धू मूसेवाला की हत्या की बात कही जा रही है, उसे कनाडा से ही ऑपरेट किया जा रहा था. इसके अलावा पिछले साल जब भारत में किसान आन्दोलन हुआ था, तब भी इस आन्दोलन का कनाडा कनेक्शन सामने आया था. NIA ने इस बात की जानकारी खुद दी थी कि इस आन्दोलन को कनाडा (Canada) के कुछ संगठनों द्वारा फंडिंग की जा रही है, ताकि ये आन्दोलन कभी समाप्त ना हो.
कनाडा बना गैंगस्टर्स का नया अड्डा
पंजाब को भारत से तोड़ कर खालिस्तान बनाने की जो मांग होती है और इसके लिए जो आन्दोलन चलाए जाते हैं, उसका Epicenter भी कनाडा ही है. यानी चाहे गैंगवॉर हो, किसान आन्दोलन हो या खालिस्तान की मुहिम हो, सबके पीछे एक ही देश है और वो है कनाडा.
इसलिए आज हम कनाडा की सरकार से भी ये सवाल पूछना चाहते हैं कि क्या वो ऐसे लोगों के साथ है, जो भारत में दहशत फैलाकर अस्थिरता लाना चाहते हैं और जिनका मकसद पंजाब को खालिस्तान बनाना है क्योंकि इस समय कनाडा, भारत विरोधी गतिविधियों का गढ़ बन चुका है.
वर्ष 1987 में भारत और कनाडा (Canada) सरकार के बीच एक संधि हुई थी, जिसके तहत कोई भी ऐसा अपराध, जिसमें एक साल या उससे ज्यादा की सजा का प्रावधान है तो ऐसे मामलों में भारत सरकार, कनाडा की सरकार से आरोपी के प्रत्यर्पण के लिए सम्पर्क कर सकती है. अगर कनाडा की सरकार और वहां की अदालत भारत सरकार द्वारा दी गई जानकारी को गम्भीर मानती है तो आरोपी को भारत भेजा सकता है. इस संधि के तहत गैंगस्टर गोल्डी बराड़ को भारत लाया जा सकता है. लेकिन सवाल फिर से कनाडा की सरकार को लेकर है, क्योंकि दोनों देशों के बीच भले ही इस विषय को लेकर एक संधि है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कनाडा ने ऐसे आरोपियों को भारत भेजने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है, जिन पर पंजाब में आतंक फैलाने के आरोप हैं.
राजनीति के चलते बदमाशों को दी जा रही शरण
पिछले साल ही भारत सरकार ने कनाडा (Canada) की सरकार को ऐसे 10 लोगों की एक सूची भेजी थी, जो पंजाब में ड्रग्स रैकेट चला रहे हैं, लेकिन इन लोगों को भारत को सौंपने के लिए कनाडा ने अब तक कुछ नहीं किया है. इसके पीछे वहां की राजनीति एक बड़ी वजह है. कनाडा की कुल आबादी 3 करोड़ 80 लाख है. जिनमें सिख समुदाय की आबादी सिर्फ पांच लाख है. लेकिन इसके बावजूद कनाडा की संसद में 338 सांसदों में से 18 सांसद सिख धर्म से हैं. जिसकी वजह से वहां की सरकार ऐसे आरोपियों को संरक्षण देती है और उन्हें भारत को सौंपने में ज़्यादा गम्भीरता नहीं दिखाती. यही वजह है कि अब पंजाब को कनाडा में बैठे लोगों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है.
आपको याद होगा, 1990 के दशक में मुम्बई में भी इसी तरह की गैंगवॉर थी. तब बॉलीवुड से जुड़े अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को अलग अलग गैंगस्टर धमकी देते थे. इन गैंगस्टर का रिमोट कंट्रोल दुबई और पाकिस्तान में बैठे अंडरवर्ल्ड के पास होता था. अब ठीक ऐसा ही पंजाब में हो रहा है. इस समय पंजाब के गायकों को अपना गाना हिट होने से ज्यादा इस बात की चिंता रहती है कि इस गैंगवॉर में कहीं उनकी जान ना चली जाए. ये सारी गैंग्स और गैगस्टर कनाडा (Canada) से ही ऑपरेट कर रहे हैं. इसलिए आप कह सकते हैं कि कनाडा 'भाई लोगों' का नया अंडरवर्ल्ड बन गया है.