Diwali on the Border: परिवार से दूर बॉर्डर पर तैनात जवान मिलजुल कर मनाते हैं दिवाली, पीएम मोदी की इस बात के हैं कायल
BSF Diwali Celebration: गुजरात में नाभाकोट बॉर्डर पर तैनात एक जवान का कहना है कि दीवाली के दिन भी हम सब जवान भाई साथ में त्यौहार मनाते हैं. दिवाली पर मिठाई बनाई जाती है, पटाखे भी जलाए जाते हैं.
Diwali 2022: गुजरात में बनासकांठा इलाके में अगर डीसा से आगे बढ़ने पर करीब ढाई घंटे के बाद आता है नाडाभेट. यहां पर है भारत-पाकिस्तान का बॉर्डर. इस सरहद की रखवाली की जिम्मेदारी BSF के मजबूत कंधों पर है.
साल 1971 की लड़ाई में भी जब पाकिस्तान ने इस इलाके में हवाई हमले शुरू किए तो BSF की 3 बटालियन ने वीरता और अदम्य साहस का परिचय देते हुए अलग-अलग मोर्चों पर जवाबी कारवाई शुरू की. इसके बाद BSF की तीनों बटालियन हमले करते हुए पाकिस्तान के काफी अंदर तक घुस गई थी, और साल 1972 में जब तक शिमला समझौता नहीं हुआ, वहीं जमी रही थीं. शिमला समझौते के बाद पाकिस्तान को उसके हिस्से की जमीन लौटाई गई.
24 घंटे BSF करती है रखवाली
अब भी 24 घंटे, 365 दिन BSF इस सीमा की रखवाली करती है. बॉर्डर के किनारे ही एक रोड भी निकलती है जो कच्छ से आती है और इस सीमा से होते हुए पहले राजस्थान और फिर जम्मू कश्मीर में जाती है. भारत की तरफ का पूरा हिस्सा नमकीन पानी से भरा पड़ा है.
एक बार में करीब 10 से 15 जवान गश्त पर निकलते हैं. एक जवान की ड्यूटी 12 घंटे की होती है. 6 घंटे की ड्यूटी के बाद 6 घंटे आराम दिया जाता है, फिर 6 घंटे ड्यूटी करवाई जाती है. हमने ऐसे ही एक गश्ती दल से बात कर यह जानने की कोशिश की इस इलाके में वो किन हालातों में रह कर अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं.
रामदयाल बताते हैं कि 6 घंटे की ड्यूटी के बाद आराम मिलता है, फिर ड्यूटी शुरू हो जाती है. इस इलाके में सबसे बड़ी समस्या मच्छरों की है. इसके अलावा सांप और बिच्छू की भी बहुत समस्या होती है. दूसरे जवान बताते हैं कि हम 10 महीने यहीं रहते हैं, 2 महीने के लिए घर जाने का मौका मिलता है. अब यही अपना परिवार लगता है.
एक जवान बताता है कि गुजरात का बॉर्डर एरिया शांत है लेकिन असम में और जम्मू कश्मीर में काफी दिक्कतें आती हैं, क्योकि वहां आतंकवादियों की मूवमेंट होने की संभावना होती है.बॉर्डर पर भारत ने ही सिर्फ अपने हिस्से में बाड़बंदी करवाई है, इसके आगे का 150 मीटर तक का एरिया No Man's Land होता है.
‘परिवार की याद आती है लेकिन देशसेवा पहले आती है’
एक जवान जो केरल से है, बताता है कि केरल से गुजरात का मौसम बिल्कुल अलग होता है. हम ड्यूटी पर अपना ध्यान देते हैं, परिवार की याद आती है लेकिन देशसेवा पहले आती है. अलग-अलग बॉर्डर के हिसाब से शरीर को वैसे ही एडजस्ट करना पड़ता है.
एक जवान का कहना है कि दीवाली के दिन भी हम सब जवान भाई साथ में त्यौहार मनाते हैं. दीवाली की वजह से ड्यूटी पर कोई छूट नही मिलती है. हम सारे जवान एक साथ ही रहते हैं. त्यौहार के दिन मिठाई बनाई जाती है, पटाखे भी जलाए जाते हैं. इन सब जवानों के साथ 25-30 साल से एक साथ ही रह रहे हैं, तो यही परिवार बन जाता है.
‘50 डिग्री से भी ज्यादा का तापमान’
जवान ने बताया कि इस इलाके में बांडी नाम का एक जहरीला सांप निकलता है, जवानों को काटने के भी मामले सामने आए हैं. इस इलाके में गर्मी के दिनों में 50 डिग्री से भी ज़्यादा का तापमान होता है. सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी होती है. बनासकांठा इलाके में खुला मैदान होने की वजह से किसी को भी देखना मुश्किल नही होता है, दिक्कतें जम्मू कश्मीर जैसे इलाके में आती है.
इसी बॉर्डर पर हर शाम को परेड भी होती है. इसमें ऊंटों से लेकर डॉग स्क्वाड और कमांडो तक की परेड में अनुशासन दिखाई देता है.
जी न्यूज की टीम जहां यहां पहुंची तो दीवाली के त्यौहार की रौनक हमें BSF के जवानों के चेहरों पर भी नज़र आई. भले ही ये अपने परिवार से कोसों दूर बैठे हैं लेकिन अब यही इनका परिवार है. सो सब मिलकर आतिशबाजी करते हैं, मिठाईयां खाते हैं. आतिशबाजी करते हैं.
इन जवानों से जब जी न्यूज ने बात की तो इन्होंने बताया कि 2010 के बाद दीवाली परिवार के साथ नही मनाई है. एक जवान का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी हमेशा दीवाली पर बॉर्डर पर जवानों के साथ मनाते हैं ताकि जवान को अपने घर की याद ना आए. ये बहुत बड़ा उदाहरण है.
एक जवान ने बताया कि आजकल तो वीडियो कॉल का जमाना है, तो अगर बॉर्डर पर होते भी हैं तो परिवार से बात हो ही जाती है, ज़्यादा परेशान होने वाली बात नही होती है. उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री त्यौहार पर जवानों के बीच जाते हैं तो बहुत खुशी होती है.
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