नई दिल्ली: भारत में अंग्रेजों के जमाने में बना संसद भवन (Parliament House)अब पुराने जमाने की बात होने जा रही है. वर्तमान संसद भवन के पास में नए संसद भवन (New Parliament House) का निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए 10 दिसंबर को भूमि पूजन किया जाएगा. स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के आवास पर पहुंचकर उन्हें भूमि पूजन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने के लिए आमंत्रित किया. 


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21 महीने में बनकर तैयार होगा 'नया संसद भवन'
जानकारी के मुतबिक नया संसद भवन (New Parliament House) 21 महीने में बनकर तैयार हो जाएगा. देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर संसद का सत्र नए भवन में ही आयोजित होगा. नए भवन में संसद सदस्यों के लिए अलग-अलग कार्यालय होंगे. इसके साथ सांसदों के लिए लाउंज, लाइब्रेरी, समिति कक्ष और भोजन कक्ष भी होंगे. सांसदों के लिए डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जो संसद को पेपरलेस बनाने की दिशा में अग्रणी कदम साबित होंगी. 


सभी मंत्री एक ही इमारत में बैठा करेंगे
नए संसद भवन (New Parliament House) में सभी मंत्री एक जगह बैठेंगे और आने-जाने में लगने वाले समय व किराए में भी बचत होगी. लोकसभा और राज्यसभा कक्षों के अलावा नए भवन में एक भव्य संविधान कक्ष होगा जिसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत दर्शाने के लिए अन्य वस्तुओं के साथ-साथ संविधान की मूल प्रति, डिजिटल डिस्प्ले आदि होंगे. भारत यात्रा पर आने वाले विदेशी प्रतिनिधिमंडलों को इस हॉल में जाने की अनुमति होगी, जिससे वे संसदीय लोकतंत्र के रूप में भारत की यात्रा के बारे में जान सकें.


निर्माण के दौरान ध्वनि-प्रदूषण का रहेगा खास ख्याल
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) के मुताबिक ने आज कहा कि नए संसद भवन (New Parliament House) के निर्माण के दौरान  इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा कि वायु और ध्वनि प्रदूषण न हो. साथ ही वर्तमान भवन में संसद की कार्यवाही या प्रशासनिक कामकाज बाधित हो. सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत नए भवन का निर्माण मौजूदा भवन के पास किया जाएगा. इस परियोजना के तहत एक नए त्रिकोणीय संसद भवन, एक संयुक्त केंद्रीय सचिवालय और राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे राजपथ के पुनर्निमाण की परिकल्पना है.


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अंग्रेजों ने 1927 में बनाया मौजूदा संसद भवन
बता दें कि मौजूदा संसद भवन का निर्माण अंग्रेजों ने 1927 में किया था. जिस दौरान इस संसद भवन का निर्माण हुआ, उस वक्त केवल एक ही सदन होता था. लेकिन आजादी के बाद लोकसभा और राज्यसभा के रूप में दो सदन बनने पर सदस्यों को बैठने के लिए जगह की कमी होने लगी. वर्तमान में कई सांसदों को प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठना पड़ता है, जिसे सांसद की गरिमा के खिलाफ माना जाता है. मौजूदा भवन भूकंपरोधी भी नहीं है.  


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