Nagaland चला शांति की ओर, अब NSCN (K) का Starson lamkang गुट भी छोड़ेगा हथियार
नगालैंड-मणिपुर (Nagaland-Manipur) में केंद्र सरकार की नरम-गरम नीति रंग ला रही है. सरकार की इस नीति के दबाव में झुकते हुए उग्रवादी नेशनलिस्ट सोशल काउंसिल ऑफ नगालैंड खपलांग ग्रुप NSCN (K) के एक और गुट ने सरेंडर करने का फैसला किया है.
कोहिमा: नगालैंड-मणिपुर (Nagaland-Manipur) में काफी समय से देश के लिए सिरदर्द रहे उग्रवाद की कमर और टूटने जा रही है. इस क्षेत्र में सक्रिय नेशनलिस्ट सोशल काउंसिल ऑफ नगालैंड के खपलांग ग्रुप NSCN (K) के कई उग्रवादी हथियार छोड़कर जल्द ही देश की मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं. इसके लिए उग्रवादियों का एक बड़ा समूह लगातार सुरक्षा बलों के संपर्क में है.
भारत के अनुरोध पर म्यांमार ने तैनात की इंफैंट्री यूनिट
बता दें कि भारत के अनुरोध पर म्यांमार (Myanmar) ने अपनी इंफैंट्री यूनिटों को भारत से लगे सरहदी इलाकों में तैनात कर रखा है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच बॉर्डर इलाके में बढ़ रहे सहयोग से नगालैंड-मणिपुर में सक्रिय उग्रवादी गुट अपने आपको बेचैन महसूस कर रहे हैं. इसके चलते उन्हें खुलकर हिंसात्मक गतिविधियां करने में काफी दिक्कत आ रही है.
NSCN (K) का निकी सूमी गुट कर चुका है सरेंडर
दोनों देशों की सेनाओं के बढ़ते दबाव का ही परिणाम है कि NSCN (K) के निकी सूमी की अगुवाई वाला गुट पिछले महीने सरेंडर कर चुका है. वहीं अब NSCN (K) के स्टारसन लामकांग की अगुवाई वाले गुट ने भी सरेंडर करने का फैसला किया है. इस गुट में 52 उग्रवादी हैं. वे अब हथियार छोड़कर देश की मुख्य धारा में शामिल होना चाहते हैं. इसके लिए वे लगातार सुरक्षाबलों से सरेंडर की शर्तों पर बातचीत कर रहे हैं.
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उग्रवादियों के खिलाफ सरकार की नरम-गरम की नीति
बता दें कि केंद्र सरकार के निर्देश पर सेना और अन्य एजेंसियां नरम-गरम नीति अपनाकर लगातार उग्रवादी संगठनों पर दबाव बनाने में जुटी हैं. उग्रवादी गुटों की मुक्त आवाजाही को खत्म करने के लिए कुछ समय पहले आर्मी चीफ मनोज मुकुंद नरवणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने म्यांमार (Myanmar) का दौरा किया था. उन दौरों में दोनों देशों के बीच रक्षात्मक संबंध बढ़ाने और उग्रवादी गुटों के खिलाफ अभियान तेज करने का फैसला किया गया था.
दोनों देशों के संयुक्त अभियान से उग्रवादियों को झटका
दोनों देशों के संयुक्त अभियान के बाद भारत में हमला कर म्यांमार (Myanmar) की सीमा में भाग जाने वाले उग्रवादी गुटों को अब कड़ी चुनौती मिल रही है और उसके कैडर बड़ी संख्या में मारे जा रहे हैं. इसके अलावा उन तक हथियार और पैसों की पहुंच भी सीमित हो गई है. जिसके चलते उनमें निराशा पसर रही है. इस बात का फायदा उठाकर सुरक्षा एजेंसियां उग्रवादी गुटों को देश की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. जिसके चलते बड़ी संख्या में उग्रवादी अपने हथियार छोड़कर देश की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए आगे आ रहे हैं.
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सबसे अहम रणनीतिक पड़ोसी है म्यांमार
म्यांमार (Myanmar) भारत का सबसे अहम रणनीतिक पड़ोसी है. उसके साथ भारत की 1,640 किमी लंबी सीमा लगती है. नगालैंड और मणिपुर (Nagaland-Manipur) के उग्रवादी संगठनों के लिए म्यांमार कुछ अरसा पहले तक सुरक्षित अभ्यारण्य रहा है. वे देश में आतंकी हिंसा करके आसानी करके आसानी से म्यांमार पहुंच जाते थे. लेकिन दोनों देशों के बीच बढ़े सहयोग से अब उनका यह सेफ जोन खत्म होता जा रहा है.
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