नई दिल्ली: राज्यसभा में बुधवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश के कई हिस्सों में पानी के गंभीर संकट पर चिंता जताई वहीं आप के एक सदस्य ने यमुना नदी के आसपास वर्षा के पानी के संचयन के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी देने की केंद्र सरकार से मांग की. आप सदस्य ने आगाह किया कि 2020 तक दिल्ली में पानी का भयंकर संकट पैदा हो सकता है.


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सदस्यों ने पानी के किफायती उपयोग की अहमियत पर भी बल दिया और केंद्र तथा राज्यों से मिलकर इस गंभीर चुनौती का सामना करने का आग्रह किया. सदस्यों ने देश में पेय जल की आपूर्ति सहित जल संकट से संबंधित चुनौतियों पर उच्च सदन में हुयी अल्पकालिक चर्चा के दौरान अपनी बातें रखीं.


'पानी का संकट बड़ी चुनौती बन गया है'
चर्चा की शुरूआत करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने कहा कि पानी का संकट राष्ट्रीय संकट के रूप में बड़ी चुनौती बन गया है. उन्होंने कहा कि हाल ही में एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने अपना पूरा एक अंक देश के जल संकट पर केंद्रित किया था.


उन्होंने दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में पानी की समस्या का जिक्र किया और कहा कि जब आप सरकार सत्ता में आई थी, उस समय राजधानी में 55 प्रतिशत लोगों को ही पानी की आपूर्ति हो रही थी.  आप सरकार के साढ़े चार साल के बाद अब 88 प्रतिशत लोगों तक पानी पहुंचाया जा रहा है.


सिंह ने कहा कि 1996-97 में दिल्ली की आबादी एक करोड़ थी. उस समय भी दिल्ली को 900 एमजीडी पानी मिलता था और आज भी उतना ही पानी मिलता है. उतने पानी में ही दिल्ली को अपना गुजारा करना होता है.


सिंह ने कहा कि दिल्ली की आप सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय से सहयोग का अनुरोध किया है. आप सरकार ने यमुना के आसपास वर्षा के पानी के संचयन के लिए एक परिजयोजना बनाई है. उन्होंने केंद्र सरकार से उसके मंजूरी देने और सरकार की मदद करने की अपील की. उन्होंने कहा कि वर्षा जल संचयन परियोजना के लिए केंद्र से अनुमति नहीं मिली तो 2020 तक दिल्ली में पानी का भयंकर जल संकट होगा और हाहाकार की स्थिति होगी.


आप सरकार ने खत्म किया टैंकर माफिया का राज
उन्होंने कहा कि में पहले दिल्ली के कई इलाकों में पानी को लेकर लड़ाई होती थी. यहां टैंकर माफिया का राज होता था जिसे आप सरकार से खत्म कर दिया. उन्होंने कहा कि हम हर जगह पानी पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन यह सिर्फ हमारे वश की बात नहीं है. इसमें केंद्र की मदद जरूरी है. सिंह ने जोर दिया कि इस मुद्दे के हल के लिए केंद्र और राज्य के बीच सहयोगात्मक रवैया होना चाहिए और इसी भावना के साथ हम आगे बढ़ें.


बीजेपी के सत्यनारायण जटिया ने कहा कि पानी को राज्य का विषय माना गया है. उन्होंने पानी के संचयन और प्रदूषणमुक्त रखने पर बल देते हुए कहा कि मानसून में देरी के कारण पानी की समस्या और बढ़ गयी है. जटिया ने कहा कि ध्यान देना चाहिए कि नगरों का पानी सीधे नदियों में नहीं गिरे और पानी को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए.


कांग्रेस की अमी याज्ञनिक ने कहा कि यह समस्या एक दिन में नहीं आई है. उन्होंने झीलों और अन्य जलाशयों में अतिक्रमण का मुद्दा भी उठाया और सरकार से गंभीरता से कदम उठाने की अपील की. अन्नाद्रमुक सदस्य आर वैद्यलिंगम ने तमिलनाडु में लोगों के सामने पानी के संकट का जिक्र किया.