गुवाहाटी: असम सरकार (Assam Government) सभी सरकारी संचालित मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने का ऐलान कर चुकी है. इस आशय की अधिसूचना नवंबर में जारी की जाएगी. अब सरकार ने फैसला लिया है कि इन मदरसों, संस्कृत स्कूलों को हाईस्कूलों में बदल दिया जाएगा और प्राइवेट मदरसे चालू रहेंगे. यह जानकारी असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने दी है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रेगुलर होंगे छात्र
असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड, असम को भंग कर दिया जाएगा. इसके बाद सरकार द्वारा संचालित सभी मदरसों को हाईस्कूलों में बदल दिया जाएगा. अंतिम वर्ष के छात्रों को पास होने के बाद स्कूल छोड़ने की अनुमति दी जाएगी. अगले साल जनवरी में इन स्कूलों में प्रवेश लेने वालों को रेगुलर स्टूडेंट की तरह पढ़ाई करनी होगी.


यह भी पढ़ें: COVID-19 Vaccine: दिसंबर तक तैयार हो सकता है टीका, जानिए कब आएगा बाजार में


सरमा ने कहा, संस्कृत स्कूलों को कुमार भास्करवर्मा संस्कृत विश्वविद्यालय को सौंप दिया जाएगा और इन्हें शिक्षण और अनुसंधान के केंद्रों में बदल दिया जाएगा, जहां भारतीय संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रवाद का अध्ययन किया जाएगा. उन्होंने कहा, यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि छात्रों को असम माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत नियमित शिक्षा मिल सके.


राजनीतिक नहीं फैसला
यह पूछे जाने पर कि क्या यह कदम अगले साल होने वाले असम विधानसभा चुनावों को देखते हुए उठाया जा रहा है? सरमा ने कहा, ‘यह एक चुनावी मुद्दा कैसे हो सकता है, हम केवल सरकार के मदरसों को बंद कर रहे हैं, निजी नहीं.’ उन्होंने दावा किया कि सरकारी मदरसों में दाखिला लेने वाले अधिकांश छात्र डॉक्टर और इंजीनियर बनना चाहते हैं और उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि ये रेगुलर स्कूल हैं ही नहीं. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह इन बच्चों के मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है?


सरमा ने कहा कि असम में 610 सरकारी मदरसे हैं, जिनके लिए राज्य सरकार सालाना 260 करोड़ रुपये खर्च कर रही थी.


VIDEO