संदीप केडिया, झुंझुनूं: राजस्थान की दो विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनावों को लेकर स्थिति साफ हो गई है. दोनों ही प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.


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कांग्रेस ने जहां दोनों जगहों पर अपने पुराने प्रत्याशियों को ही फिर से चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने एक सीट आरएलपी को दे दी है. लेकिन दूसरी सीट पर नौ माह पहले कांग्रेस से निष्कासित झुंझुनूं प्रधान को टिकट दिया गया है. जिसके बाद चुनावी मुद्दे गौण हो गए है और पार्टियों में पैराशूटी उम्मीदवार की चर्चा शुरू हो गई है. 


झुंझुनूं की मंडावा विधानसभा सीट(Mandawa Vidhansabha Seat) में काफी कशमकश के बाद आखिरकार आज बीजेपी(BJP) ने अपना उम्मीदवार उतार दिया है. नौ माह पहले कांग्रेस से निष्कासित की गई झुंझुनूं पंचायत समिति की प्रधान सुशीला सिगड़ा(Sushila Singda) को अपना प्रत्याशी बनाया है. इस प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही कांग्रेस की प्रत्याशी रीटा चौधरी (Reeta Chaudhary) ने भी बीजेपी पर हमला बोला है.



बीजेपी के दावों की खुली पोल
उन्होंने कहा है कि बीजेपी खुद को ना केवल कैडर बेस पार्टी कहती है. बल्कि देश की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा कर रही है. लेकिन राजस्थान में होने वाले उप चुनावों में उनके दावों की पोल खुल गई है. दोनों ही जगहों पर समर्पित कार्यकर्ता मुंह देखते रह गए. खींवसर सीट(Khinwsar Vidhansabha Seat) बीजेपी ने आरएलपी को दे दी और मंडावा में एक गैर बीजेपी उम्मीदवार को टिकट दिया गया है.


कांग्रेस के आरोपों का दे रही जवाब
कांग्रेस के इन आरोपों के बाद अब बीजेपी भी सवालों का जवाब दे रही है. इसके जवाबों के लिए मंडावा चुनावों के प्रभारी एवं उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़(Rajendra Rathore) के साथ-साथ सांसद नरेंद्रकुमार भी अपने तर्क दे रहे हैं. 


सुशीला सीगड़ा का बीजेपी को था साथ
राठौड़ ने कहा है कि सुशीला सीगड़ा करीब डेढ़ दो सालों से बीजेपी का साथ दे रही थी. लेकिन तकनीकी रूप से वे बीजेपी में नहीं थी. जिसके लिए उन्हें आज शामिल कर टिकट दिया गया है. यही नहीं उन्होंने इसके लिए सभी से राय लेकर निर्णय की बात भी कही है. 


सांसद ने भी आरोपों को नकारा
वहीं, सांसद नरेंद्रकुमार ने दावा किया है कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में सुशीला सीगड़ा उनके साथ थी. ऐसे में उन्हें कोई कांग्रेसी कैसे बता सकता है.


बीजेपी ज्वाइन करने के बाद यह है बयान
पार्टी ज्वाइन करने के बाद ना केवल प्रधान सुशीला सीगड़ा, बल्कि जिला परिषद सदस्य इंजी. प्यारेलाल ढूकिया ने भी अपने तर्क दिए है. उन्होंने कहा है कि वे दो चुनावों में खुलकर बीजेपी के साथ थे. कांग्रेस ने मंडावा में कभी उन्हें अपना माना ही नहीं. इसलिए अब उन पर कोई भी आरोप लगाना भी गलत है.



उम्मीदवारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
इधर, दोनों पार्टियों के उम्मीदवार घोषित होने के बाद दोनों ही उम्मीदवारों के बीच भी आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. विकास के मुद्दों को छोड़ अब असली-नकली की लड़ाई शुरू हो गई है. पार्टी ज्वाइन करने से पहले प्रधान सुशीला सीगड़ा ने रीटा चौधरी पर मंडावा में कांग्रेस को खत्म करने का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें कभी भी पंचायत समिति सदस्य का टिकट नहीं दिया गया. जबकि वे हर बार निर्दलीय चुनाव जीतकर गई और कांग्रेस का प्रधान बनाया. 


रीटा चौधरी ने भी दिया करारा जवाब
उन्होंने कहा है कि सुशीला सीगड़ा का इतिहास रहा है कि वे मंडावा में हमेशा कांग्रेस के खिलाफ खड़ी रही है. वहीं मंडावा के बाहर जाते ही वे कांग्रेसी बन जाती है. साथ ही उन्हें नसीहत दी कि उन्हें कांग्रेस की चिंता छोड़ देनी चाहिए. क्योंकि जब रीटा ने 2008 में पहला चुनाव लड़ा था तो उन्हें 27 प्रतिशत वोट मिले थे और अब 2018 में उन्हें 49 प्रतिशत. इसलिए मंडावा में कांग्रेस बढ़ रही है.