नई दिल्ली: दिल्ली मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय राजधानी के सार्वजनिक परिवहन बेड़े में 1,000 लो-फ्लोर एसी इलेक्ट्रिक बसें शामिल करने के प्रस्ताव को शनिवार को मंजूरी दे दी.
ऐसा दावा किया जा रहा है कि दिल्ली देश का पहला शहर है जहां इतनी बड़ी संख्या में ये बसें होंगी.


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दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा, 'यह किसी भारतीय शहर और चीन के बाहर किसी भी शहर द्वारा ऐसी सबसे बड़ी प्रतिबद्धता है.' मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता वाली बैठक में यह फैसला लिया.


बयान में कहा गया है कि दिल्ली सरकार शहर के निवासियों के लिए प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल सार्वजनिक परिवहन मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है. सार्वजनिक परिवहन की क्षमता बढ़ाना और भीड़भाड़ कम करने के लिए सड़कों पर वाहनों की संख्या कम करना दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने का एकमात्र तरीका है. 


मंत्रिमंडल ने परिवहन विभाग को इसकी अनुमति भी दी कि कि वह प्रस्तावित बोलीदाताओं से सीसीटीवी, ऑटोमैटिक व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (एवीटीएस), पैनिक बटन और पैनिक अलार्म से लैस बसें लाने के निर्देश दें.


मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फेसबुक पर लिखा, बधाई दिल्ली, कैबिनेट ने 1000 इलैक्ट्रिक बसों को मंजूरी दे दी है. कई बाधाएं पैदा की गईं. सभी बाधाओं को हटा दिया गया. दिल्ली पहला भारतीय शहर बनेगा जहां इतनी बड़ी संख्या में इलैक्ट्रेकि बसें होंगीं. 



6 डिपो पर खड़ी होगी लो-फ्लोर इलेक्ट्रिक बसें
ये 1,000 लो-फ्लोर इलेक्ट्रिक बसें छह डिपो पर खड़ी होगी और वहां चार्ज की जाएगी. डिपो के भीतर इलेक्ट्रिक बसों को चार्ज करने के लिए बुनियादी ढांचा और पर्याप्त संख्या में चार्जिंग यूनिट लगाने की जिम्मेदारी सुविधा प्रदाता की होगी. 


बयान में कहा गया है कि मंत्रिमंडल ने फैसला किया है कि डिपो को सब्सिडी और ऊर्जा के बुनियादी ढांचे पर अनुमानित लागत 800 करोड़ रुपये आएगी जो पर्यावरण मुआवजा शुल्क निधि से लिया जाएगा.  पहले चरण की निविदाएं एक सप्ताह के भीतर जारी होने की उम्मीद है और इलेक्ट्रिक बसों का पहला बेड़ा इस साल के अंत तक सड़कों पर आने की संभावना है.


(इनपुट - भाषा)