मुंबई(संवाददाता- अहसान अब्बास) : महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के बाद अब मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है. AIMIM ने जोर-शोर से यह मुद्दा उठाते हुए कहा है कि मुस्लिम आरक्षण के लिए पार्टी कोर्ट में जाएगी. दूसरी तरफ राज्य सरकार ने कहा है की वे धर्म के आधार पर आरक्षण नही दे सकते.हालांकि शिवसेना मुस्लिम आरक्षण के पक्ष में खड़ी है.


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महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण पर बहस शुरू हो चुकी है. 2014 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहते पृथ्वीराज चव्हाण ने मराठों के साथ ही मुस्लिम को  शिक्षा और रोजगार में 5% आरक्षण दिया था पर दोनों मामले जब बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे तो इन पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी. मुस्लिम आरक्षण पर कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिमो को आरक्षण शिक्षा के लिए दिया जा सकता है रोजगार के लिए नही. 


AIMIM ने मुस्लिम आरक्षण पर कड़ा रुख अख्तियार किया है, पार्टी ने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में जाएंगे. AIMIM ने कहा है कि मुस्लिम आरक्षण के लिए सरकार से कोई उम्मीद नही है. 


क्या बोले मुख्यमंत्री ?
वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि मुस्लिमो को धर्म के आधार पर आरक्षण नही दिया जा सकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मुस्लिम समाज की 52 जातियों को पिछड़े वर्ग आयोग की सिफारिशों के कारण पहले ही आरक्षण दिया जा चुका है, पिछड़ा वर्ग आयोग अगर और जातियों के लिए आरक्षण की सिफारिश करेगा तो आरक्षण दिया जा सकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए चर्चा के लिए सर्वदलीय नेताओ से बातचीत के लिए बैठक बुलाई जाएगी.