नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र पर आरोप लगाया है कि सरकार मोबाइल और लैंडलाइन फोन की जासूसी कर रही है. महबूबा ने कहा है कि सरकार ने जासूसी के लिए इजरायली कंपनी की मदद ली है. वहीं इस मामले में केंद्र सरकार ने व्हाट्सऐप (WhatsApp) को 4 नवंबर तक जवाब देने के लिए कहा है. महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, 'मुझे बताया गया था कि कश्मीर के वर्तमान हालातों को लेकर मोबाइल पर कुछ भी चर्चा नहीं करें. बड़े भाई कश्मीर में मोबाइल और लैंडलाइन पर नजर रखे हुए हैं. भारत सरकार इजरायल की मदद से जासूसी करा रही है.'


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बता दें कि जम्‍मू-कश्‍मीर पुनर्गठन एक्‍ट, 2019 के बीती मध्‍यरात्रि के प्रभावी होने के बाद अस्तित्‍व में आए केंद्र शासित प्रदेश जम्‍मू और कश्‍मीर के पहले उपराज्‍यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने पद और गोपनीयता की शपथ ली. जम्‍मू-कश्‍मीर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्‍तल ने उनको शपथ दिलाई. जम्‍मू-कश्‍मीर पुनर्गठन एक्‍ट, 2019 के तहत जम्‍मू-कश्‍मीर राज्‍य आज से दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्‍मू और कश्‍मीर एवं लद्दाख में विभाजित हो गया है. इसी कड़ी में आज सुबह राधा कृष्‍ण माथुर ने लद्दाख के उपराज्‍यपाल पद की शपथ ली.


इसके साथ ही सरदार पटेल की जयंती के दिन यानी 31 अक्टूबर से जम्मू कश्मीर और लद्दाख प्रशासनिक तौर पर केंद्र सरकार के अधीन आ गए हैं. जम्मू कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा और लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा. अब राज्य में कई नए कानून लागू होंगे. आइए इस संदर्भ में बताते हैं कि जम्मू कश्मीर में क्या 10 नए बदलाव होंगे.


1. जम्मू-कश्मीर 31 अक्टूबर से केंद्र शासित प्रदेश बनेगा
2. जम्मू-कश्मीर में RPC की जगह IPC लागू होगा
3. जम्मू-कश्मीर में 106 नए कानून लागू हो जाएंगे
4. जम्मू-कश्मीर में 153 विशेष कानून खत्म हो जाएंगे
5. उर्दू की जगह हिंदी, अंग्रेजी आधिकारिक भाषाएं होंगी
6. जम्मू-कश्मीर में दिल्ली की तरह विधानसभा गठित होगी
7. जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल की जगह लेफ्टिनेंट गवर्नर होगा
8. विधानसभा से पास किए बिल पर अंतिम फैसला LG लेंगे
9. विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष की बजाय 5 वर्ष का होगा
10. कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी