शिमला: हिमाचल प्रदेश में मानसून के आगाज़ के साथ ही राज्य में नुकसान की भी शुरुआत हो चुकी है. हर साल बारिश अपने साथ राज्य में कहर लेकर आती है. इस साल भी हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आकलन के मुताबिक़ 1 जुलाई से लेकर 8 जुलाई तक प्रदेश को कुल 1 करोड 85 लाख 47 हज़ार रूपए का नुकसान उठाना पड़ा है. इसी दौरान राज्य में 29 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. जबकि बारिश से एक हफ्ते में 7 मवेशी भी मारे जा चुके हैं. प्राधिकरण के मुताबिक़ राज्य के जिला चंबा में 8, हमीरपुर में 1, कुल्लू में 1, मंडी में 5, सिरमौर में 1, सोलन में 2 और ऊना में 2 लोगों की जान गई है. 


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हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव ओमकार शर्मा का कहना है कि 2018 में मानसून के दौरान हुई भारी बारिश ने हिमाचल प्रदेश में भारी तबाही मचाई थी. गत वर्ष बरसात के दौरान 1300 करोड़ रूपए से ज़्यादा की सरकारी और निजी सम्पत्ति नष्ट हुई थी. इसमें राज्य की कई सड़कें, पुल, भवन, आईपीएच की कई योजनाएं, ऊर्जा क्षेत्र और वन संपदा शामिल हैं. हालांकि इसके एवज में केंद्र से करीब 300 करोड़ की ही मदद राज्य को मिली थी. 


शर्मा ने बताया कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पास बरसात से हुई सम्पत्ति, इंसानी जान, जीव जंतुओं की जान, सरकारी और निजी सम्पत्ति और वन संपदा को होने वाले नुकसान की रिपोर्ट हर 10 से 15 से दिनों के अंदर मिलती है जिसपर त्वरित कार्यवाही अमल में लाई जाती है. वहीँ 11 जुलाई को राज्य भर की अहम इमारतों, बस अड्डों रेलवे स्टेशन, बड़े छोटे बाज़ारों, स्कूलों जैसी पब्लिक प्लेस पर बड़ी मॉक ड्रिल होगी ताकि आपदा के दौरान आम जनता को बरसात के दौरान सामने आने वाली अनचाही आपदा से अपनी सुरक्षा करने के लिए जागरूक किया जा सके. 


बरसात के मौसम के शुरू होने पर सामने आ रहे नुकसान को लेकर राज्य सरकार भी चिंता में नज़र आ रही है. प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस बाबत पीडब्ल्यूडी, पुलिस, वन और सम्बंधित विभागों के आला अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. इसमें तमाम जिला प्रशासन को भारी बारिश की स्थिति में सतर्क रहने के निर्देश जारी किए गए हैं. सरकार ने सैलानियों के लिए भी विशेष एडवाइजरी जारी की है, जिसमे उन्हें नदी-नालों और पहाड़ों के पास जाने से परहेज़ करने को कहा गया है. 


इस सिलसिले में भी सम्बंधित जिला प्रशासन को सैलानियों को इन जगहों पर जाने से रोकने के निर्देश दिए गए हैं. सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि भारी बारिश की स्थिति में नदियां उफान पर होती हैं, जबकि कई इलाकों में भूस्खलन और पेड़ गिरने का खतरा भी बना रहता है. जयराम ठाकुर ने कहा कि इस वक्त शिमला-चंडीगड़ और चंडीगड़-मनाली के फोरलेनिंग का कार्य भी चल रहा है और बारिश के दौरान इन दोनों नेशनल हाइवे पर चट्टानों के खिसकने का खतरा भी बने रहने की पूरी सम्भावना है.


उन्होंने कहा कि इन मार्गों पर पीडब्ल्यूडी विभाग को मशीनरी तैनात करने के आदेश दी गए हैं ताकि लोगों को ज़्यादा देर ताक जाम में ना फंसे रहना पड़े. जयराम ठाकुर ने कहा कि शिमला समेत कई जगहों पर भारी बारिश के चलते पेड़ों के सड़कों और रिहायशी भवनों पर गिरने का भी अंदेशा रहता है. लिहाजा वन विभाग को ऐसे खतरनाक पेड़ों के तत्काल कटान के भी निर्देश जारी किए गए हैं.