मुंबई: मुंबई मेट्रो (Mumbai Metro) के तीसरे चरण की रुकावट अदालती फैसले के बाद दूर होती नजर आ रही है. मुंबई (Mumbai) के आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड (Metro Car Shed) बनाए जाने के खिलाफ दायर चार याचिकाओं को बांबे हाईकोर्ट ने एक सिरे से खारिज कर दिया है. अब मेट्रो (Metro) का तीसरा चरण (Third Phase) कफ परेड से लेकर सीप्ज़ (SEEPZ) होते हुए आरे मेट्रो कार शेड तक 33.5 किलोमीटर की सफर के लिए राह आसान हो गई.


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मेट्रो (Metro) किसी भी शहर की जान और आत्मा है. इस मेट्रो से 2 लाख 61 मैट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड (carbon dioxide) कम होगा, जो लोग गाड़ियों से चलते हैं उनका प्रदूषण (pollution) कम होगा. करीब 30 मिनट यात्रियों के बचेंगे. इससे शहर की इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic growth) बढ़ेगी. लोकल ट्रेन (Local Train) से हर रोज 10 लोग मरते हैं. 30000‌ करोड़ के लागत से बनने वाले 33.5 किलोमीटर के निर्माण पर लगने वाला ग्रहण अब कोर्ट (court) के फैसले (order) से हट गया. मुंबई (Mumbai) के लोगों का भूमिगत मेट्रो (Underground Metro) का सपना अब साकार होगा.



कुल 27‌ स्टेशनों में से 26 भूमिगत स्टेशन और एक सतह पर स्टेशन का निर्माण होगा. मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड (Mumbai Metro Rail Corporation Limited), एमएमआरडीए और जापान के सहयोग से दो ट्रैक वाले इस रैपिड ट्रैक पर 2021 तक सरकार मेट्रो रेल (Metro Rail) दौड़ाने का लक्ष्य रखा था. इसके कार शेड के निर्माण के लिए‌ 2646 पेड़ों की कटाई और स्थानांतरण करना था. मेट्रो के कारशेड का विरोध करने वालों को कोर्ट (court) के जरिए लगी फटकार ने इनके सारे तर्क को गलत बताया. गौरतलब है कि कार शेड के विरोध में कोर्ट में चार याचिकाएं दी गई थीं.



पहली याचिका थी जिसमें आरे (Aarey) को वन भूमि (forest land) बताया गया था. लेकिन कोर्ट के मुताबिक आरे वन भूमि नहीं है. फॉरेस्ट लैंड संजय गांधी नेशनल पार्क (Sanjay Gandhi National Park) है जो 1200 हेक्टेयर में फैला है. आरे डेयरी लैंड है. दूसरी याचिका (plea) में आरे की जमीन मीठी रिवर का विस्तार बताय गया था. लेकिन कोर्ट (court) के अनुसार आरे की जमीन डेयरी के लिए Cow ग्रेजिंग की जमीन नो डेवलपमेन्ट जोन के तहत थी. ये मीठी रिवर का विस्तार नहीं है.



आरे (Aarey) के खिलाफ लगी तीसरी याचिका (plea) के मुताबिक इस इलाके में 2646 पेड़ काटने से इलाके में मुंबई (Mumbai) के ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी होगी. लेकिन कोर्ट में पेड़ों की कटाई से पहले 24000 पेड़ लगाए जाने के तर्क के साथ पुराने पेड़ों के बजाए नए पेड़ों से ज्यादा ऑक्सीजन दिए जाने का तर्क दिया गया. चौथी याचिका जिसमें जगह को कार शेड के लिए उपयुक्त ना होने की बात कही गई थी, उस याचिका को रद्द करते हुए यह भी बताया गया कि तकनीकी स्तर पर देखा जा रहा है. कार शेड टर्मिनस (Terminus) पर ही बनाए जा सकते हैं. ये भी जाहिर किया गया.


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इसका विरोध करने वालों ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक ले जाने का मन बनाया है. याचिकाकर्ता (Petitioner) अमृता भटनागर ने जी मीडिया (Zee Media) से बातचीत के दौरान कहा, "ये मामला केवल मेट्रो (Metro) के निर्माण भर का नहीं, प्रकृति (nature) से छेड़छाड़ का है. जिसका हम विरोध कर रहे थे और आगे भी करेंगे. इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे.
 


शहर में बढ़ती ट्रैफिक (traffic) और प्रदूषण (pollution) को देखकर उठाए जा रहे कदम को लेकर बॉलीवुड (Bollywood) के कई दिग्गज कलाकार ने समर्थन भी किया है. समर्थन में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) भी आगे आए थे. इसके निर्माण से विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEEPZ) (सांताक्रुज इलेक्ट्रॉनिक निर्यात संसाधन क्षेत्र) से लेकर दक्षिण मुंबई कोलाबा तक जाने वाले लोगों की सहुलियत होगी. अदालत ने आरे (Aarey) को वन क्षेत्र मानने से इंकार किया. मेट्रो कार शेड के लिए जा रही जमीन को मीठी नदी के विस्तार का जमीन बताया गया इसे भी कोर्ट ने खारिज किया है. कोर्ट ने पेड़ों की कटाई को लेकर पहले ही निर्देश जारी कर रखा है. पेड़ों की कटाई के लिए ट्री अथॉरिटी पर आरोप लगाने वाले याचिकाकर्ता को अदालत के जरिए 50 हजार जुर्माना लगाया है.



सरकार की योजना के मुताबिक काटे गए पेड़ों के बदले पेड़ लगाने की भी योजना है. मेट्रो (Metro) निर्माण मुंबई की जरूरत सहित शहर में बढ़ती ट्रैफिक समस्या (Traffic Problem) और बेतरतीब तरीके से बढ़ती गाड़ियों की संख्या पर रोक लगाने का एक उपाय भी है. इसका स्वागत भी कई लोगों के जरिए किया गया है. ‌‌‌‌‌खुद मुख्यमंत्री (CM) ही इसे भविष्य की सोच बताते हैं. आम शहरियों ले लेकर, कई‌ मामलों में सरकार की आलोचना करने वाले लोग भी इसे जरूरत के साथ, मुंबई (Mumbai) के वर्ल्ड क्लास शहर बनने में की कड़ी मानते हैं. यह तय है कि सड़क के विकास के साथ नई गाड़ियों का बेड़ा शहर में आता है लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट (Public transport) के बढ़ने से सहुलियत के साथ लोगों पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ कम होता है.



अदालत के इस फैसले ने एक ओर खुशी ला दी तो वहीं पर्यावरण (environment) का नाम लेकर विकास (development) को पीछे धकेलने वाले लोगों के लिए करारी हार है.