मुंबईः महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने रविवार (13 सितंबर) को कहा कि एक बार फिर मराठा आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया जाएगा. ठाकरे ने कहा कि पूरी विधानसभा ने एकसाथ मिलकर मराठा समाज के लिए आरक्षण की घोषणा की है. पहले हाई कोर्ट में मामला गया और फिर सुप्रीम कोर्ट में गया लेकिन यहां भी स्टे लगा दिया गया. ठाकरे ने कहा, मराठा आरक्षण को स्टे देने की जरूरत नहीं थी, लेकिन स्टे दिया गया है. मैं सभी नेताओं के साथ इस मुद्दे पर संपर्क में हूं और एक बार फिर इस मुद्दे को उठाउंगा. 


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ठाकरे ने कहा, 'इस मामले को लेकर हमने बॉम्बे हाईकोर्ट में कामयाबी हासिल की. अब हमारा मामला देश की सबसे बड़ी अदालत के सामने है. देश के बेस्ट वकील हमारा केस लड़ रहे हैं.' उन्होंने राज्य के मराठाओं से रिजर्वेशन के लिए प्रदर्शन न करने को कहा है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि कोरोना के वक्त आप लोग इस मामले को लेकर प्रदर्शन न करें.


उन्होंने बताया कि राज्य की विधाइका द्वारा मराठा बिल सर्वसम्मति से पास हो गया था, पिछली भाजपा सरकार ने एक लीगल टीम हायर कर ली थी तो जो कि सुप्रीम कोर्ट में बहस करती रही. उन्होंने दावा किया कि इस मामले को लेकर उन्होंने पूर्व सीएम देवेंद्र फड़णवीस से बात की थी. उस दौरान उन्होंने मुद्दे पर अपना पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया था.


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ठाकरे ने कहा, 'महाराष्ट्र सरकार मराठा कम्युनिटी को न्याय देने के लिए दृढ़ है और इस पर काम कर रही है. मैंने विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस से बात की है, फिलहाल वे बिहार में हैं. उन्होंने हमें कहा है कि बीजेपी इस मामले पर पूरा समर्थन करेगी.'


बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर सुनवाई के दौरान रिजर्वेशन पर राज्यों को एक बड़ा संदेश भी दे दिया था. कोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण को उचित नहीं ठहराया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र की 30 फीसदी आबादी मराठा है और इसकी तुलना समाज के सीमांत तबके के साथ नहीं की जा सकती.


कोर्ट ने मराठा समुदाय के लिए राज्य में शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था करने संबंधी कानून के अमल पर रोक लगाते हुए यह टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा कि पहली नजर में उसका मत है कि महाराष्ट्र सरकार ने यह नहीं बताया कि शीर्ष अदालत द्वारा 1992 में मंडल प्रकरण में निर्धारित आरक्षण की अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा से बाहर मराठों को आरक्षण प्रदान करने के लिये कोई असाधारण स्थिति थी.


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