मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) की पार्टी शिवसेना (Shiv Sena) अब राज्य के गवर्नर से भिड़ गई है और मुद्दा है 'फाइनल ईयर की परीक्षा' कराने का. दरअसल महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री उदय सामंत (Uday Samant) ने  यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) को पत्र लिखकर फाइनल इयर की वार्षिक परीक्षा रद्द करने की मांग की थी. जिसपर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) भड़क गए थे और उन्होंने  मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखा कि वह छात्रों के हित में बिना देरी किए विश्वविद्यालयों में वार्षिक परीक्षा कराने के मुद्दे का समाधान करें क्योंकि 'विश्वविद्यालयों द्वारा वार्षिक परीक्षा का आयोजन नहीं करना यूजीसी के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के बराबर है.' 


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साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि वह अपने मिनिस्टर को गैरजरूरी हस्तक्षेप करने से रोकें. गौरतलब है की राज्यपाल विश्वविद्यालयों के चांसलर होते हैं. जिसके बाद आज सामना ने अपने संपादकीय में गवर्नर पर निशाना साधा है. 


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सामना ने लिखा, 'महाराष्ट्र में दस लाख से ज्यादा फाइनल ईयर के स्टूडेंट हैं. दस लाख से अधिक विद्यार्थी परीक्षा केंद्रों तक कैसे पहुंचेंगे? उनकी व्यवस्था कैसे करेंगे? कर्मचारी, प्राध्यापक और शिक्षक कैसे पहुंचेंगे? परीक्षा के माध्यम से कोरोना का संक्रमण बढ़ेगा तो क्या होगा? बहुत सारे स्कुल-कॉलेज की जगहों को कोरोना के लिए क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है तो परीक्षा केंद्र कहां बनाएंगे? कोरोना से लड़ें या पूरी यंत्रणा को फाइनल ईयर एग्जाम में लगाएं? कोरोना की अग्निपरीक्षा से बाहर आए बिना यूनिवर्सिटीज के फाइनल ईयर की परीक्षा कैसे ली जाए? इसका मार्गदर्शन राज्यपाल को करना चाहिए. राज्यपाल को छात्रों की इतनी चिंता हो रही है तो उन्हें ही कुछ रास्ता निकालना चाहिए.'


साथ ही शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है, 'राज्यपाल जिस वैचारिक माहौल से सार्वजनिक जीवन में आए हैं उस संघ परिवार की स्टूडेंट विंग ABVP भी फाइनल ईयर के परीक्षा न करवाने के पक्ष में है. गुजरात और गोवा में संघ के स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन ने यही निति अपनाई है. गुजरात और गोवा में बीजेपी की सरकारें हैं इसलिए वहां अलग नीति और महाराष्ट्र में बीजेपी विरोधी दल है तो यहां अलग नीति. ऐसा क्यों?'


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