मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार के गठन को लेकर लेकर शिवसेना (Shiv Sena) और बीजेपी ( BJP) के बीच बात अब तक नहीं बन सकी है. शिवसेना चाहती है कि सीटें कम आने के बावजूद उसे सत्ता में ज्यादा भागीदारी मिले. शायद इसलिए ही शिवसेना को कर्नाटक में कांग्रेस (congress) द्वारा अपनाया गया फॉर्मूला रास आने लगा है. 


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2018 में कर्नाटक (Karnataka) में जब चुनाव हुआ था तब जेडीएस (JDS) के कम सीट होने के बावजूद भी कांग्रेस सीएम पद जेडीएस को दिया था. कांग्रेस ने ऐसा बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए किया था. कांग्रेस के इस फॉर्मूले का नतीजा यह निकला था कि कर्नाटक में ज्यादा सीटें पाने के बावजूद बीजेपी सरकार नहीं बना पाई थी. 



शिवसेना अब इसी रणनीति पर काम कर रही है. शिवसेना जानती है कि बीजेपी को सरकार बनाने के लिए उसकी मदद लेनी ही पड़ेगी. यही वजह है कि शिवसेना 2.5-2.5 साल के फॉर्मूले पर अड़ गई है. इस फॉर्मूले के तहत शिवसेना 2.5 साल तक अपना मुख्यमंत्री चाहती है और गृह, वित्त जैसे प्रमुख विभाग भी अपने पास रखना चाहती है. 


शनिवार को हुई शिवसेना के विधायक दल की बैठक में फैसला किया गया कि जब तक देवेंद्र फडणवीस या बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 2.5-2.5 साल के फॉर्मूले लिखित में वादा नहीं करेंगे तब तक बीजेपी को समर्थन नहीं दिया जाएगा.वहीं, सीएम देवेद्र फड़नवीस ने भी यह साफ किया है कि बीजेपी के नेतृत्व मे ही नई सरकार का गठन होगा. अब देखना है कि शिवसेना का दवाब काम आता है या फिर बीजेपी एक बार फिर बड़े भाई की भूमिका में होगी. 


(इनपुट: देवेंद्र कोल्हटकर)