वाशिंगटन: हाल ही में हिरासत में लिए गए दलित लेखक आनंद तेलतुम्बड़े का समर्थन करते हुए अमेरिका और यूरोप के 600 से अधिक विद्वानों ने संयुक्त रूप से एक बयान जारी कर भारत और महाराष्ट्र सरकार से तुरंत ऐसी कार्रवाइयां बंद करने का अनुरोध किया है.


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तेलतुम्बड़े के खिलाफ फर्जी आरोपों का विरोध करते हुए बुधवार को जारी इस बयान में तेलतुम्बड़े की तुरंत गिरफ्तारी के खतरे की कड़ी आलोचना की गई है. साथ ही उन्हें विशिष्ट विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ता और देश के बुद्धिजीवियों में से एक बताया गया है.



बयान में कहा गया है कि वह दलित समुदाय के महत्वपूर्ण विद्वानों में से एक हैं और उनकी लेखनी का लोकतंत्र, वैश्विकरण और सामाजिक न्याय जैसे विषयों में महत्वपूर्ण योगदान रहा है.


प्रिंसटन, हार्वर्ड, येल, ऑक्सफोर्ड और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स सहित विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के विद्वानों के संयुक्त मंच इंडियन सिविल वाच (आईसीडब्ल्यू) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि महाराष्ट्र पुलिस ने 28 अगस्त, 2018 को गैर-कानूनी तरीके से तेलतुम्बड़े के मकान की तलाशी ली थी.


उसमें कहा गया है कि राज्य और केन्द्र सरकारों ने साथ मिलकर डॉक्टर तेलतुम्बड़े के खिलाफ आधारहीन आरोप लगाए और उन्हें यूएपीए के तहत गिरफ्तार करने की धमकी दी. इस कानून के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का निष्पक्ष न्याय पाने का अधिकार निलंबित हो जाता है और उसे अनिश्चित काल तक के लिए हिरासत में रखा जा सकता है.


(इनपुट भाषा से)