नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने शुक्रवार को कहा कि तीनों कृषि कानून (New Agriculture Laws) केंद्र सरकार के हैं. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही ये काले कानून पूरे देश में लागू हो गए. इन बिलों को लागू करने या न करने का अधिकार राज्य सरकारों के पास नहीं है. अगर ये राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में होते, तो देशभर के किसान अपने-अपने राज्य के मुख्यमंत्रियों से इसे रद्द करने की मांग करते. चूंकि ये काले कानून केंद्र सरकार (Central Government) के हैं, इसलिए राज्य सरकारें इसे रोक नहीं सकती.


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'कैप्टन अमरिंदर चाहते तो इस कानून को रोक सकते थे'
सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि जब से मैंने दिल्ली के 9 स्टेडियम को जेल बनाने से रोका है, तब से केंद्र की भाजपा (BJP) सरकार मुझसे ज्यादा नाराज है, दिल्ली आने पर किसानों को इन स्टेडियमों में डालने की योजना थी. उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर (Captain Amarinder Singh) किसके दबाव में मुझ पर झूठे आरोप लगा रहे हैं? वे बीजेपी की बोली बोल रहे हैं, क्योंकि उनके परिवार पर ईडी (Enforcement Directorate) के केस चल रहे हैं. कैप्टन अमरिंदर इन काले कानूनों को बनाने के लिए गठित कमेटी में शामिल थे, लेकिन उन्होंने इसका विरोध नहीं किया. मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि किसानों की सभी मांगे मानी जाएं और MSP की गारंटी को कानून में डाला जाए.


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'अनाज उगाने वाला किसान आज सर्दी में खुले आसमान के नीचे सो रहा है'
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि आज पूरा देश देख रहा है कि हमारे देश का किसान कड़ी ठंड की रात में आसमान के नीचे सो रहा है. यह सोच कर सारी रात नींद नहीं आती है. आज कोई भी देशभक्त यह देखकर चैन की नींद नहीं सो सकता है. उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ हमारे किसान भाइयों की नहीं है, बल्कि हम सब की लड़ाई है. जरा सोचिए, जो दो वक्त की रोटी हम खाते हैं, वह हमारे किसान भाइयों की मेहनत की उगाई हुई होती है. हम सब को इस लड़ाई में अपने किसान भाइयों का साथ देना है.


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किसान आंदोलन की आड़ में हो रही राजनीति
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने मुझ पर आरोप लगाए कि दिल्ली में मैंने यह काले कानून पास कर दिए. इस नाजुक मौके पर भी इस तरह की गिरी हुई राजनीति कैप्टन साहब कैसे कर सकते हैं? ये तो तीनों केंद्र के कानून हैं. जिस दिन राष्ट्रपति के इन कानूनों पर दस्तखत हुए थे, उसी दिन यह कानून पूरे देश में लागू हो गए. अब यह किसी राज्य सरकार के ऊपर नहीं है कि वो इन्हें लागू करेगी या नहीं. अगर राज्य सरकारों पर होता, तो देश भर से किसान केंद्र सरकार से बात करने के लिए दिल्ली क्यों आते? वो अपने-अपने राज्य के मुख्यमंत्रियों से मांग करते. यह कानून केंद्र सरकार लाई है और कोई भी राज्य सरकार इन कानूनों को न रोक सकती है और न पास कर सकती है.


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दिल्ली की सरहद पर 'किसान' और देश की सरहद पर पंजाब का 'जवान '
इसी क्रम में सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि आज दिल्ली की सरहद पर पंजाब का किसान है और देश की सरहद पर उसी किसान का बेटा, पंजाब का जवान है. अभी कुछ दिन पहले पंजाब के एक किसान सरदार कुलवंत सिंह दिल्ली की सरहद पर बैठे हुए थे और खबर आई कि उनका 22 साल का जवान बेटा सुखवीर सिंह बॉर्डर पर देश के लिए शहीद हो गया. इस सबके बीच जब कुछ लोग आए दिन किसानों को आतंकवादी बुलाते हैं, देशद्रोही कहते हैं, तो मैं सोचता हूं कि बॉर्डर पर इन जवानों पर क्या बीतती होगी जिनके किसान मां- बाप को आतंकवादी कहा जा रहा है? आज हम सबको भी तय करना होगा कि हम देश के किसानों के साथ हैं या उन्हें आतंकवादी कहने वालों के साथ हैं?


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