शुरू में अच्छा लगने वाला WFH अब लोगों को कर रहा है Burn Out, ऐसे दूर करें तनाव
दिल्ली की एक निजी कंपनी में काम करने वाली कुमुद बजाज दुबे इन दिनों पहले के मुकाबले ज्यादा बर्नआउट महसूस करती हैं. वे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से थक चुकी हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक निजी कंपनी में काम करने वाली कुमुद बजाज दुबे इन दिनों पहले के मुकाबले ज्यादा बर्नआउट महसूस करती हैं. वे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से थक चुकी हैं. इसकी वजह है वर्क फ्रॉम होम, जो work-from-home उन्हें शुरुआती दौर में अच्छा लग रहा था. वही अब उन्हें चिड़चिड़ा बना रहा है.
जीवन में बढ़ रही थकान और चिड़चिड़ापन
कुमुद बजाज दुबे का कहना है कि ऑफिस में बॉस और सीनियर्स को लगता है कि घर पर ही है तो देर तक काम कर सकती हैं. वहीं घर में सबको ये उम्मीद होती है कि घर ही से तो काम हो रहा है तो बाकी काम भी किया जा सकता है. इस वजह से मैं पहले से ज्यादा थकान और चिड़चिड़ाहट महसूस करती हूं.
काम और निजी जीवन में फर्क नहीं कर पा रहे हैं लोग
ऐसा महसूस करने वाली कुमद अकेली नहीं है. भारत में वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोग बर्नआउट (burn out) की असहज स्थिति का सामना कर रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह काम और निजी जीवन में फर्क नहीं कर पाना हैं..ये ट्रेंड माइक्रोसॉफ्ट के हालिया वर्क ट्रेंड इंडेक्स रिपोर्ट (microsoft work trend index) से सामने आया है.
पिछले 6 महीने में बढ़ी बर्न आउट की समस्या
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले छह माह के दौरान एक तिहाई काम करने वाले लोगों में बर्न आउट की समस्या बढ़ी है. माइक्रोसॉफ्ट ने भारत, सिंगापुर, जापान, ऑस्ट्रेलिया सहित कुल आठ देशों के 6 हजार काम करने वाले लोगों पर सर्वे किया. माइक्रोसॉफ्ट मीटिंग एप के जरिये किये गए सर्वे में पाया गया कि इन देशों में भारत दूसरे स्थान पर है, जिसमें काम करने वाले लोगों में असहजता की दर में वृद्धि हुई है.
41 फीसदी लोग कर रहे हैं तनाव का सामना
माइक्रोसॉफ्ट वर्क ट्रेंड इंडेक्स में सामने आया कि 41 फीसदी कार्यबल भारत में बढ़े हुए तनाव का सामना कर रहा है. इसकी अहम वजह निजी जीवन और काम में फर्क नहीं होना है. वे अब ऑफिस के लोगों के साथ लम्बी बातचीत नहीं कर पाते, काम करने के घंटे बढ़े हुए हैं और काम की भी कोई तय सीमा नहीं है. इससे उनका अच्छा जीवन भी प्रभवित हुआ है.
पहले की तुलना में ज्यादा मीटिंग
सर्वे में 23 फीसदी लोगों का कहना है कि मीटिंग्स ज्यादा होना और मीटिंग्स के समय पर फोकस नहीं होने से तनाव का स्तर बढ़ा है. माइक्रोसॉफ्ट मीटिंग्स के डाटा में भी पाया गया कि अब लोग हर दिन काफी ज्यादा मीटिंग्स में रहते हैं और शाम 5 से रात 9 बजे के समय यह ज्यादा होता है.
काम करने का समय औसतन एक घंटा बढ़ा
सर्वे में पाया गया कि जबसे वर्क फ्रॉम शुरू हुआ है, भारत में औसतन एक घंटा काम का बढ़ गया है. इसकी वजह से लोगों की सेहत खराब हो रही है मानसिक बीमारियां बढ़ रही हैं. शारीरिक रूप से भी इसका असर साफ दिखने लगा है. एक स्टडी के मुताबिक वर्क फ्रॉम होम करने वाले 75 प्रतिशत भारतीय मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द से जूझ रहे हैं.
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ऐसे दूर करें बर्न आउट की समस्या
फिलहाल कोरोना का दौर खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में इसलिए work from home करना मजबूरी है. लेकिन आप बर्न आउट की समस्या को अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव करके इस समस्या को दूर कर सकते हैं. अगर दिन में तीन बार स्ट्रेचिंग की जाए तो कम्प्यूटर वर्क करने वाले लोगों में होने वाले कलाई, पीठ, गर्दन और बांहों के दर्द से बचा जा सकता है. इसके अलावा मानसिक तौर पर खुद को स्वस्थ रखने के लिए योग और मेडिटेशन का सहारा भी लिया जा सकता है.
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