DNA: प्रयागराज में स्टूडेंट वर्सेज सिस्टम, लाठीचार्ज के खिलाफ संघर्ष.. सरकार को झुका दिया!
UPPSC Protest: जब छात्र अपनी मांग के लिए सड़क पर उतरे, तो पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज किया. हाथ में तख्ती लिए, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर लेकर, ये छात्र सड़क पर उतरे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें डंडे से खदेड़ा.
Student Protest Prayagraj: उत्तर प्रदेश यूपी के प्रयागराज में आंदोलन कर रहे छात्रों पर पुलिस की लाठियां भी बरसीं हैं. ये वो छात्र हैं जो भविष्य में अधिकारी बनने का सपना देखते हैं, लेकिन आज सड़कों पर पुलिस के डंडे खा रहे हैं. यह कहानी उस संघर्ष की है, जिसमें छात्रों ने सिस्टम और सरकार के खिलाफ चार दिन तक विरोध किया और आखिरकार उन्हें झुकने पर मजबूर कर दिया.
असल में यूपीपीएससी परीक्षा के नियमों में बदलाव की मांग को लेकर छात्रों ने चार दिन तक प्रयागराज की सड़कों पर डटे रहे. पूरे साल परीक्षा की तैयारी करने वाले ये छात्र अपने परिवार की उम्मीदों पर खरे उतरने के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन जब उन्होंने अपनी मांग उठाई, तो उन्हें सिस्टम की ओर से लाठीचार्ज और बदसलूकी का सामना करना पड़ा.
11 नवंबर को जब छात्र अपनी मांग के लिए सड़क पर उतरे, तो पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज किया. हाथ में तख्ती लिए, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर लेकर, ये छात्र सड़क पर उतरे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें डंडे से खदेड़ा. छात्रों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें न खाने दिया, न पानी पीने दिया, और लाठियां मारने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
सरकार ने छात्रों की मांगें मानी
चार दिनों तक चले इस प्रदर्शन को खत्म करने के लिए प्रशासन ने कई कदम उठाए, लेकिन छात्र अपनी जगह से टस से मस नहीं हुए. आखिरकार, 15 नवंबर को सरकार ने छात्रों की शर्तों को मानते हुए घोषणा की कि पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2024 को स्थगित किया जाएगा. इसके अलावा, वन डे वन शिफ्ट की व्यवस्था केवल पीसीएस परीक्षा के लिए लागू की जाएगी.
प्रयागराज में छात्रों की जीत हुई, लेकिन क्या पढ़े-लिखे लोग, जो कल को प्रशासन के अधिकारी बनेंगे, ऐसे ही लाठी डंडों और थप्पड़ों का सामना करेंगे? क्या नरेश मीणा जैसे नेता उन्हें थप्पड़ मारकर निकल जाएंगे? छात्रों ने ये सवाल उठाया है, और इन सवालों के जवाब में ही भविष्य की राजनीति और प्रशासन की असली चुनौती छिपी है.
क्या सिस्टम से लड़ाई का अंजाम यही होगा?
प्रयागराज में छात्रों के सामने सरकार और सिस्टम ने घुटने टेक दिए, लेकिन इस घटनाक्रम से यह सवाल सामने आता है कि क्या पढ़े-लिखे लोग सिर्फ अपनी लड़ाई ही लड़ने के लिए हैं, या फिर उन्हें लाठी डंडों से डराया जाएगा? छात्रों का संघर्ष सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज और सिस्टम के लिए एक चेतावनी है कि आवाज उठाने वालों को कभी दबाया नहीं जा सकता. (Input-DNA)