Fairs Of State Temples As Govt Mela: केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने जनहित याचिका दायर कर प्रदेश सरकार के 2017 के उस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें राज्य के मंदिरों से जुड़े मेलों और त्योहारों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का निर्णय लिया गया है. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ इस जनहित याचिका की सुनवाई करेगी. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने प्रदेश सरकार की 18 सितंबर 2017 की अधिसूचना और तीन नवंबर 2017 के परिणामी आदेश को रद करने की मांग की है.

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सरकार के निर्णय पर रोक की मांग
उनका कहना है कि यह अधिसूचना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 31-ए का उल्लंघन करती है. प्रदेश सरकार मनमाने, असंवैधानिक, अवैध तरीके से मंदिरों और उनके धार्मिक समारोहों के प्रशासन, प्रबंधन और नियंत्रण को अपने हाथ में लेने का प्रयास कर रही है. जनहित याचिका में राज्य सरकार को मंदिरों के मेलों और त्योहारों को सरकारी मेला घोषित करने अथवा उनका नियंत्रण अपने हाथ में लेने से स्थायी रूप से रोकने का निर्देश देने की भी मांग है.


9 दिसंबर को होगी सुनवाई
9 दिसंबर को चीफ़ जस्टिस की डिविजन बेंच में होगी मामले की होगी सुनवाई. 2017 में यूपी सरकार ने मंदिरों के मेलों को सरकारी मेला घोषित करने का आदेश जारी किया है. याचिका में मंदिरों के मेले को सरकारी मेला घोषित करने के आदेश को असंवैधानिक बताया गया है.


जानें किन मंदिरों के मेले हैं सरकारी मेला
राज्य सरकार के 18 सितंबर 2017 की अधिसूचना और 3 नवंबर 2017 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है. अधिसूचना के तहत मां ललिता देवी शक्तिपीठ. नैमिषारण्य सीतापुर. मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ मिर्जापुर. मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ देवीपाटन. तुलसीपुर बलरामपुर एवं शाकुंभरी माता मंदिर सहारनपुर में आयोजित होने वाले मेलों को सरकारी मेला घोषित किया गया है.