RSS News: बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि बीजेपी उस दौर से आगे बढ़ चुकी है जब उसे आरएसएस की जरूरत थी. अब वह सक्षम है और अपने आपको चलाती है. संघ एक वैचारिक मोर्चा है और अपने आपको चलाता है. इस बयान के बाद से ही विश्‍लेषक भाजपा और संघ के रिश्‍तों को लेकर अटकलें लगा रहे हैं. कुछ इस बयान को इस तरह देखते हैं कि दोनों पक्षों के बीच रिश्‍तों में हालिया दौर में बर्फ जमी है. इसलिए संघ के नेताओं से इस बयान के मायने अक्‍सर पूछे जाते रहते हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ऐसे ही एक कार्यक्रम में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर से बुधवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान जब ये पूछा गया कि क्या नड्डा की टिप्पणी से भाजपा और संघ के बीच दरार पैदा हुई है? उन्‍होंने कहा, ‘‘हम पारिवारिक मामलों को पारिवारिक मामलों की तरह सुलझाते हैं. हम ऐसे मुद्दों पर सार्वजनिक मंचों पर चर्चा नहीं करते.’’


कांग्रेस द्वारा देश में जाति आधारित जनगणना पर जोर दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग जाति के कारण प्रगति नहीं कर सकते. यह हमारे समाज की एक विसंगति है. हर सरकार कुछ कल्याणकारी योजनाएं लाती है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है. ऐसी योजना के लिए आपको कुछ डेटा की आवश्यकता होती है.... हालांकि, यह प्रथा राजनीतिक हथियार नहीं बननी चाहिए और इसके इर्द-गिर्द चुनाव प्रचार करना गलत है.’’


Vijay Raman: 'ऑपरेशन मैन' की जुबानी, राजीव गांधी से लेकर चंद्रशेखर तक पीएमओ की कहानी


 


मणिपुर में जातीय संघर्ष की स्थिति पर आंबेकर ने कहा, ‘‘यह एक गंभीर मामला है...आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी उस राज्य की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है.’’ उन्होंने कहा कि आरएसएस कार्यकर्ता शांति स्थापित करने के लिए वहां जमीनी स्तर पर सक्रिय हैं. वे समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए प्रयास जारी हैं.


यह पूछे जाने पर कि संगठन में महिलाएं किसी बड़े पद पर क्यों नहीं हैं, उन्होंने कहा, ‘‘जमीनी स्तर पर आरएसएस की शाखाएं केवल लड़कों के लिए हैं. लेकिन राष्ट्र सेविका समिति, जो (आरएसएस का) एक महिला संगठन है, 1930 के दशक से आरएसएस जैसा ही काम कर रही है.’’


पिछले 10 सालों में भारत की ताकत और कमजोरियों के बारे में पूछे गए सवाल पर आंबेकर ने कहा कि दुनिया अब भारत की ताकत और विज्ञान तथा अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में उसकी क्षमता को पहचानती है. आंबेकर ने कहा, ‘‘पहले लोग सोचते थे कि इस देश का कोई भविष्य नहीं है. अब, लोगों को लग रहा है कि आगे बढ़ने की प्रबल संभावना है और भारत में यह क्षमता है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, सामाजिक स्तर पर कई चुनौतियां हैं. सामाजिक असमानता और कुछ सामाजिक विसंगतियां अभी भी एक चुनौती हैं. हमें सामाजिक सद्भाव के लिए बहुत काम करने की जरूरत है.’’ हर दिन बहुत से लोग आरएसएस में आते हैं जो अच्छा काम करना चाहते हैं. आईटी क्षेत्र से भी बहुत से लोग आरएसएस में आते हैं क्योंकि उन्हें दूसरों की सेवा करने की जरूरत महसूस होती है. आंबेकर ने कहा कि अगर लोग राजनीतिक लाभ के बारे में सोचकर भी संघ में शामिल होते हैं, तो संगठन से जुड़ने के कारण वे स्वतः ही अच्छा काम करना शुरू कर देते हैं.


धर्मांतरण के लिए प्रलोभन देना गलत


आंबेकर ने पूर्व में दावा किया था कि कई संगठनों ने रिपोर्ट दी है कि तमिलनाडु में विशेष रूप से मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण कराया जा रहा है और उन्होंने इसे ‘‘बहुत चिंताजनक’’ बताया था.


इस बारे में पूछे जाने पर आंबेकर ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि तमिलनाडु में धर्मांतरण को विभिन्न तरीकों से बढ़ावा दिया जा रहा है और कुछ लोगों ने इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से भी लिया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसी को धर्मांतरण के लिए प्रलोभन देना या मजबूर करना गलत है. समाज इसका विरोध करता है और आरएसएस ऐसे समाज के साथ खड़ा है.’’


(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)