Vijay Raman: 1989 में प्रधानमंत्री बनने वाले वीपी सिंह के बारे में रमन ने लिखा कि प्रधानमंत्री हर किसी पर शक करते थे. रॉयल फैमिली से ताल्लुक रखने के बावजूद उनके इस तरह के रवैये से एसपीजी अधिकारियों को मुश्किलें होती थीं.
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एमपी कैडर के हाई-प्रोफाइल आईपीएस ऑफिसर रहे रिटायर्ड विजय रमन का कुछ समय पहले 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया. हमेशा आगे बढ़कर टीम को लीड करने के कारण उनको साथियों ने 'ऑपरेशन मैन' कहा. 1975 बैच के आईपीएस विजय रमन के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने चंबल से बागियों के खौफ को खत्म कर दिया. पान सिंह तोमर से लेकर भारतीय संसद पर हमले के मास्टरमाइंड गाजी बाबा तक के एनकाउंटर में अहम भूमिका निभाई. कई आतंकवाद रोधी और नक्सल विरोधी अभियान का हिस्सा रहे.
1985-1995 तक एसपीजी के सहायक निदेशक और बाद में उप निदेशक के रूप में दिल्ली में उन्होंने राजीव गांधी, वीपी सिंह, चंद्रशेखर और पीवी नरसिम्हा राव की सुरक्षा संभाली. पिछले साल पुणे में कैंसर से निधन होने के बाद उनकी किताब 'डिड आई रियली डू ऑल दिस' प्रकाशित हुई है. उसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण ऑपरेशंस और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के कई अनदेखे-अनजाने पहलुओं और अपने अनुभवों के बारे में लिखा. उनकी किताब में चार प्रधानमंत्रियों के स्वभाव और व्यवहार के बारे में झलक मिलती है.
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राजीव गांधी: दैनिक भास्कर में प्रकाशित अंश के मुताबिक रमन ने राजीव गांधी की पर्सनालिटी की जबर्दस्त तारीफ की. उन्होंने लिखा कि राजीव गांधी बेहद विनम्र स्वभाव के थे. अच्छे कार्यों को करने के लिए हमेशा प्रेरित रहते थे और कभी इसके लिए कोई समझौतावादी रुख अख्तियार नहीं करते थे. हमेशा अपने काम को बेस्ट देने का प्रयास करते थे. उनकी तारीफ में रमन ने यहां तक लिखा कि उनका व्यक्तित्व बेमिसाल था.
वीपी सिंह: 1989 में प्रधानमंत्री बनने वाले वीपी सिंह के बारे में रमन ने लिखा कि प्रधानमंत्री हर किसी पर शक करते थे. रॉयल फैमिली से ताल्लुक रखने के बावजूद उनके इस तरह के रवैये से एसपीजी अधिकारियों को मुश्किलें होती थीं. उनके साथ काम करना चुनौतीभरा और तनावपूर्ण था.
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पीवी नरसिम्हा राव: रमन ने अपनी किताब में उनको विद्वान प्रधानमंत्री कहा. राव को खाली वक्त में किताबें पढ़ने का शौक था. राजनीति और धर्म पर घंटों चर्चा कर सकते थे. उनकी बौद्धिक चर्चाएं उनके व्यक्तित्व को विशिष्ट बनाती हैं. उन्होंने आर्थिक सुधारों के माध्यम से देश को नई दिशा दी. गौरतलब है कि उनके कार्यकाल में ही 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने देश में आर्थिक सुधारों को लागू किया.
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चंद्रशेखर: दूसरों का ख्याल रखने वाले थे. अपने स्टाफ का खास ख्याल रखते थे. हमेशा ये सुनिश्चित करते थे कि उनकी सिक्योरिटी में लगे अधिकारी भूखे न रहें और उनको पहले भोजन मिल जाए.