Supreme Court: देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. साथ ही याचिकाकर्ता को लताड़ भी लगाई है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हर चीज की दवा नहीं है, हम हर चीज माहिर नहीं हैं. कोर्ट ने कहा कि अदालत इस तरह के मामले पर फैसला नहीं कर सकती और सरकार चलाना न्यायपालिका का काम नहीं है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता से उचित मंच पर जाने को कहा.


'सरकार चलाना कोर्ट का काम नहीं'


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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक आयोग सही था या दूसरा, यह मुद्दा नीतिगत है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि बोस की मौत रहस्य बनी हुई है और उनके लापता होने से संबंधित कोई आखिरी फैसला नहीं है. कोर्ट ने कहा,'हम हर चीज के विशेषज्ञ नहीं हैं.' अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता, जो एक राजनीतिक कार्यकर्ता होने का दावा करता है, अदालत आने की बजाय राजनीतिक मंच पर इस मुद्दे को उठा सकता है. सुप्रीम कोर्ट हर चीज की दवा नहीं है. सरकार को चलाना कोर्ट का काम नहीं है. जस्टिस कांत ने आगे कहा कि कोर्ट का काम कानूनी मुद्दों पर फैसला करना है और याचिकाकर्ता से अपनी शिकायतों के साथ उचित मंच पर जाने को कहा.


'याचिकाकर्ता की हो गहन जांच'


इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पिनाक पानी मोहंती को कुछ ऐसे राष्ट्रीय नेताओं के खिलाफ लापरवाह और गैरजिम्मेदाराना आरोप लगाने के लिए फटकार लगाई जो अब जिंदा नहीं हैं. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में महात्मा गांधी को भी नहीं बख्शा है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ईमानदारी पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा कि उनकी जांच की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से समाज के कल्याण के लिए अब तक की गई गतिविधियों, विशेष रूप से मानवाधिकारों के लिए हलफनामा दाखिल करने को कहा है.


कैसे हुई थी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु?


बता दें कि सरकार ने इससे पहले एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में बताया था कि नेताजी की मृत्यु 1945 में ताइवान में एक विमान दुर्घटना में हुई थी. माना यह जाता है कि सुभाष चंद्र बोस का प्लेन 1945 में ताइवान में क्रैश हो गया था और इसी हादसे में उनकी मृत्यु हो गई थी.