नई दिल्ली: जजों के कार्य आवंटन में बदलाव और याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नया रोस्टर सिस्टम जारी किया है. अब पांच सीनियर मोस्ट जज पीआईएल यानि जनहित याचिकाओं को सुनेंगे. नया रोस्टर 1 जुलाई से लागू होगा. दरअसल, इसको लेकर काफी दिनों से बहस चल रही थी. इससे पहले तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा खुद जनहित याचिकाओं को सुनते थे लेकिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इससे पहले रोस्टर में अपने अलावा दूसरे नंबर के जज को पीआईएल सुनने के लिए तय किया था.


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आपको बता दें कि पिछले साल जस्टिस रंजन गोगई ने चीफ जस्टिस बनते ही नया रोस्टर जारी किया था, जिसमें जजों के कार्य आवंटन में बदलाव किये गए थे. सबसे बड़ा बदलाव जनहित याचिकाओं के बारे में थे. जनहित याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस मदन बी लोकुर (अब सेवानिवृत्त) के पास भी रखी गई थी. जनहित याचिकाएं सामान्यता सरकार के खिलाफ होती थी. जस्टिस लोकुर भी गत जनवरी की ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल थे. इसके अलावा जस्टिस गोगोई के पास सर्विस मैटर को छोड़कर लगभग वे सभी मामले हैं जो जस्टिस मिश्रा के पास थे उसमें सिर्फ दो श्रेणियां और शामिल हुई थी. जिसमें न्यायिक अधिकारियों के केस और कंपनी लॉ, आरबीआई, ट्राई, सेबी आदि के केस थे. 


बाकी रोस्टर में ज्यादा बदलाव नहीं है सिर्फ कुछ एक श्रेणियों के केस एक दूसरे जज से अदले बदले गये थे. गौरतलब है कि रोस्टर को लेकर तब विवाद सामने आया था जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार 12 जनवरी 2018 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. यह पहला मौका था जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने देश के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही कथित अनियमितताओं को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. 


उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस चेलमेश्वर (अब सेवानिवृत्त) के अलावा जस्टिस रंजन गोगोई (मौजूदा मुख्य न्यायाधीश), जस्टिस जोसेफ (अब सेवानिवृत्त) और जस्टिस मदन लोकूर (अब सेवानिवृत्त) ने मीडिया से बात की थी. इन चारों जजों का आरोप था कि मुख्य न्यायाधीश केस आवंटित करने का काम न्यायसंगत तरीके से नहीं करते थे.