Supreme Court on Bulldozer: कई राज्यों में बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठे हैं और आज सुप्रीम कोर्ट ने बेहद तल्ख टिप्पणी की. उच्चतम न्यायालय ने साफ कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है तो भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता. ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है. हालांकि उच्चतम न्यायालय ने आगे यह भी कहा कि वह किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगा. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही थी. 


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जस्टिस गवई ने क्या कहा


जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से सीनियर एडवोकेट दुष्यन्त दवे ने कहा कि सारे विवाद पर विराम लग सकता है अगर सरकार आश्वस्त कर दे कि बुलडोजर जस्टिस के नाम पर कार्रवाई नहीं की जाएगी. जस्टिस गवई ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि किसी के महज आरोपी होने पर उसका घर कैसे गिराया जा सकता है? यहां तक कि उसके दोषी साबित होने पर भी यूं ही उसका घर नहीं गिराया जा सकता. SC के पहले रुख के बावजूद सरकार के रुख में हमें कोई बदलाव नजर नहीं आता.



सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुददे पर अगस्त 2022 में सरकार ने हलफनामा दायर कर साफ किया है कि केवल आरोपी होने से किसी की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता. केवल म्युनिसिपल कानून के उल्लंघन में ही ऐसा किया जा सकता है. जिन जगहों पर कार्रवाई हुई है, वहां नोटिस जारी किए गए थे.


ध्वस्तीकरण कार्रवाई के खिलाफ याचिका पर सुनवाई 17 सितंबर को सुनिश्चित करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हम पूरे देश के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव करते हैं. कोर्ट ने कहा कि हम देशभर के लिए दिशानिर्देश जारी करेंगे. इसके लिए दोनों पक्षों से सुझाव देने को कहा गया है. 


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