Supreme Court order on IIT Dhanbad: समय से फीस न देने के चलते आईईटी में दाखिले से वंचित रह गए 18 साल के  एक गरीब छात्र को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत मिली अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए लड़के को IIT धनबाद में दाखिले का आदेश दिया है.  


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यूपी के मुजफ्फरनगर के  टोटोरा गांव के रहने वाले 18 साल अतुल को IIT धनबाद की सीट आवंटित हुई थी. गरीबी के चलते वो 24 जून की शाम 5 बजे की समयसीमा  के अंदर फीस दाखिल नहीं कर पाए थे. IIT में एडमिशन में सपने को टूटते हुए देखकर अतुल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.


CJI ने कहा- ऑल द बेस्ट


चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने जब आदेश सुनाया तो कोर्ट रूम में मौजूद अतुल के चेहरे पर राहत भरी मुस्कराहट नज़र आई. आदेश के बाद चीफ जस्टिस ने उससे मुख़ातिब होते हुए कहा कि ऑल द बेस्ट.अच्छा करिए.


कोर्ट रुम के बाहर आते ही अतुल ने ज़ी मीडिया से  कहा कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. ऐसा लग  रहा है कि मेरी जो रेल पटरी से उतर गई थी वो अब वापस पटरी पर आ गई. है.अभी आगे और मेहनत करनी है.


'प्रतिभाशाली छात्र को अधर में नहीं छोड़ सकते'


आज सुनवाई के दौरान  चीफ जस्टिस ने कहा कि अतुल जैसे प्रतिभाशाली छात्र, जो समाज के वंचित तबके से आता है, जिसने दाखिले के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, उसे अदालत अधर में यूं ही नहीं छोड़ सकती. कोर्ट ने अतुल को आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग के बीटेक कोर्स में दाखिले का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि अगर आईआईटी को ज़रूरत लगे तो वो अतुल को दाखिले के लिए मौजूदा बैच में नई सीट जोड़ सकती है. कोर्ट ने साफ किया कि अतुल को हॉस्टल की सुविधा भी मिलेगी.


कोर्ट के सामने मामला क्या था?


यूपी के मुजफ्फरनगर के टिटोरा गांव के रहने वाले 18 साल के अतुल के पिता  दिहाड़ी मज़दूर हैं. अतुल ने इसी साल जेईई एडवांस्ड परीक्षा, 2024  पास की थी. जिसे पास करने की वजह से उन्हें IIT धनबाद में सीट आवंटित हो गई. अतुल को 24 जून को शाम 5 बजे तक वेबसाइट पर फीस पेमेंट और डॉक्यूमेंट अपलोड़ करना था, लेकिन गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजार  रहा उनका परिवार फीस की  17500 रुपये की रकम का इंतजाम शाम 4.45 तक तक ही कर पाया. 



अतुल ने उसी वक्त साइट को लॉग इन भी किया लेकिन जब तक पेमेंट की पूरी प्रकिया को ऑनलाइन पूरा कर पाते, तब तक 5 बजे की समयसीमा पूरी हो  चुकी थी और पोर्टल बंद हो गया था. इसके बाद अतुल के माता पिता ने इस मामले में मदद के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी और मद्रास हाई कोर्ट का रुख किया था लेकिन कोई राहत न मिलने पर आखिरकार वे सुप्रीम कोर्ट का रुख करने को मजबूर हुए. 


अतुल के वकील की दलील


सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उनके वकील ने परिवार की खराब आर्थिक सेहत का हवाला दिया. वकील ने दलील दी कि आईआईटी धनबाद में सीट आवंटित होने के बाद फीस जमा करने के लिए उन्हें चार दिन मिले. इतने वक़्त में 17,500 रुपये की फीस का इंतजाम कर पाना उनके गरीब परिवार के लिए बहुत मुश्किल था. वकील ने बताया कि अतुल ने अपने दूसरे और आखिरी प्रयास में जेईई एडवांस की परीक्षा पास की है. अगर सुप्रीम कोर्ट से उनको कोई राहत नहीं मिलती है तो वह परीक्षा में दोबारा शामिल नहीं हो पाएंगे.