Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जिन दोषियों ने उम्रकैद की सजा के 10 साल पूरे कर लिए हैं और जिनकी अपील पर निकट भविष्य में हाई कोर्ट में सुनवाई होने की संभावना नजर नहीं आ रही है, उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए, बशर्ते राहत से इनकार का कोई ठोस कारण मौजूद न हो.


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कोर्ट ने कहा कि जेलों में भीड़भाड़ कम करने के मकसद को पूरा करने के लिए उन दोषियों के लिए ऐसा करना चाहिए, जिनकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील वर्षों से लंबित है और निकट भविष्य में हाई कोर्ट में इसकी सुनवाई की कोई संभावना नहीं है.


वर्षों से पेंडिंग है अपील


जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की बेंच आजीवन कारावास की सजा पाने चुके दोषियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. अपीलकर्ताओं ने इस आधार पर जमानत की मांग की है कि उनकी अपील अलग-अलग हाई कोर्ट्स में सालों से पेंडिंग है और निकट भविष्य में इनकी सुनवाई की संभावना नहीं है, क्योंकि बड़ी संख्या में लंबित मामले जूडिशल प्रोसेस में रुकावट डाल रहे हैं. कोर्ट ने कहा, 'हमारा विचार है कि अपनी सजा के 10 साल पूरे कर चुके उन दोषियों को जमानत पर छोड़ दिया जाना चाहिए, जिनकी अपील पर निकट भविष्य में सुनवाई के आसार नहीं हैं.'


5740 मामलों में अपील पेंडिंग


न्याय मित्र गौरव अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेश के तहत 6 हाई कोर्ट्स को ब्योरा देने के लिए कहा गया था और उन्होंने एक हलफनामा दायर किया है. उन्होंने कहा, हाई कोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि 5740 मामले ऐसे हैं, जहां अपील पेंडिंग है चाहे वह सिंगल बेंच के लेवल पर हो या खंडपीठ स्तर पर.


इलाहाबाद हाई कोर्ट में सबसे ज्यादा अपील पेंडिंग


अग्रवाल ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में सबसे अधिक अपील पेंडिंग हैं और 385 दोषियों को उनकी सजा के 14 साल से अधिक समय बीत चुका है, जबकि पटना हाई कोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक, 268 दोषियों के मामलों में समय से पहले रिहाई पर विचार किया जा रहा है. इसने हाई कोर्ट्स और स्टेट लीगल सर्विसेज ऑफिसर्स को इस आदेश पर अमल के लिए चार महीने का समय दिया और मामले को अगले साल जनवरी में सुनवाई के लिए लिस्टेड कर लिया.



(इनपुट-पीटीआई)


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