Udhayanidhi Stalin: सनातन पर आपत्तिजनक बयान के चलते उदयनिधि स्टालिन पर एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने स्टालिन और तमिलनाडु सरकार, सीबीआई, याचिका में प्रतिवादी बनाए गए ए राजा समेत डीएमके के कई नेताओं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मद्रास के वकील बी जगन्नाथ की ओर से दायर याचिका में  2 सितंबर को आयोजित सनातन उन्मूलन सम्मेलन की सीबीआई जांच की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि ऐसे आयोजन के लिए फंडिंग करने वालों का पता लगा जाए, ये भी पता किया जाए कि कहीं ऐसे आयोजन को श्रीलंका के लिट्टे जैसे आतंकी संगठन से फंडिंग तो नहीं हुई है. कोर्ट सनातन के खिलाफ कार्यक्रमों को असंवैधानिक करार दें.


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पहले SC ने याचिकाकर्ता को HC को जाने को कहा
हालांकि शुरुआत में जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत नज़र नहीं आई और उन्होंने याचिकाकर्ता को नसीहत दी कि उन्होंने अपनी मांग को लेकर हाई कोर्ट का रुख करना चाहिए. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आपकी मांग है कि एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. आप इसके लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख करके इसे पुलिस स्टेशन में तब्दील कर रहे है. जिन मांगो को आपने सुप्रीम कोर्ट में उठाया है, उन सब पर हाई कोर्ट सुनवाई करने में समर्थ है.


सरकार सनातन के खिलाफ विषवमन को शह दे रही
याचिकाकर्ता की ओर पेश वरिष्ठ वकील दामा शेषाद्रि नायडू ने दलील दी कि ये किसी आम व्यक्ति के किसी धार्मिक समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बयानबाजी का मामला नहीं है. इस केस में मंत्री एक समुदाय विशेष के खिलाफ ज़हर उगल रहा है. जब सरकार समुदाय विशेष के खिलाफ विष वमन को शह दे रही हो और छात्रों को सनातन धर्म के खिलाफ स्पीच देने के लिए सर्कुलर जारी कर रही तो ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ही अकेली राहत का विकल्प बचता है. वैसे भी सुप्रीम कोर्ट देश के विभिन्न हिस्सों में भड़काऊ बयानबाजी से जुड़े मामलों को सुन रहा है. इसके बाद कोर्ट ने  याचिका पर नोटिस जारी करने का फैसला लिया.


याचिका में डीएमके के इन नेताओं के भी नाम
कोर्ट में दायर याचिका में उदयनिधि स्टालिन के अलावा सांसद ए राजा, तमिलनाडु  स्टेट माइनॉरिटी कमीशन के चैयरमैन पीटर एल्फोंसे, डीएमके अध्यक्ष के वीरमणि, तमिलनाडु के मंत्री शेखर बाबू को भी पक्षकार बनाया गया है. कोर्ट से मांग की गई है कि इन नेताओं के भविष्य में सनातन के खिलाफ बयान देने पर रोक लगे. याचिका में मांग की गई है कि 2 सितंबर को सनातन उन्मूलन सम्मेलन में राज्य मंत्रियों की भागीदारी को असंवैधानिक घोषित किया जाए.


'SC के आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई'
याचिका में मांग की गई है किकोर्ट राज्य सरकार को निर्देश दे कि स्कूलों में सनातन धर्म के खिलाफ ऐसे आयोजन ना हो. कोर्ट राज्य पुलिस से जवाब तलब करें कि आखिर कैसे पुलिस ने एक धर्म विशेष के खिलाफ ऐसी कॉन्फ्रेंस के आयोजन की इजाज़त दी, उसने आयोजको के खिलाफ क्या कार्रवाई की. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अपने पहले दिए गए फैसलों में साफ कर चुका है कि भड़काऊ भाषण के मामलों में पुलिस औपचारिक शिकायत दर्ज करने का इंतज़ार नहीं करेगी. पुलिस स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करे, लेकिन स्टालिन के बयान के बावजूद उन पर एफआईआर न दर्ज करना दर्शाता है कि सरकार का हिंदुओं के खिलाफ भेदभाव पूर्ण रवैया है.