क्या साइंटिस्ट की पीएचडी किसी अन्य विभाग की समान डिग्री के बराबर है? सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला
Supreme Court: सर्वोच्च अदालत ने कहा, ‘केवल इसलिए कि अध्ययन अवकाश विनियम, 1991 का विस्तार तकनीकी कर्मियों तक किया गया, इससे उन्हें अन्य लाभ प्राप्त करने का अधिकार नहीं मिलेगा जो वैज्ञानिकों को उपलब्ध हैं. तकनीकी कर्मियों को पीएचडी करने के लिए अध्ययन अवकाश देने का विचार केवल उन्हें अपनी योग्यता में सुधार करने में सक्षम बनाने के लिए था.’
Judgements and Orders Supreme Court: वेतन-भत्तों में असमानता (equal pay allownces) भारत के सबसे ज्वलंत मुद्दों में से एक है. हालांकि अलग-अलग विभागों में ऐसा होने की अलग-अलग वजहें हो सकती हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने ये व्यवस्था दी है कि कर्मचारियों के विभिन्न समूह अलग-अलग नियमों के दायरे में आते हैं और समान योग्यता प्राप्त करने पर भी वे सभी समान लाभ के पात्र नहीं हैं. जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने इसी के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 जुलाई, 2010 के आदेश और केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के 2003 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) को PhD डिग्री प्राप्त करने पर अपने तकनीकी कर्मचारियों को वैज्ञानिकों के समान 1999 की योजना का लाभ देने के लिए कहा गया था.
क्या था पूरा मामला?
आईसीएआर द्वारा 27 फरवरी, 1999 को शुरू की गई योजना के तहत, कोई वैज्ञानिक अपनी सेवा के दौरान पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने पर दो अग्रिम वेतन वृद्धि का पात्र था. आईसीएआर ने अपने तकनीकी कर्मचारियों को इस योजना का लाभ देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इसमें दो सेवाएं शामिल हैं, अर्थात् कृषि अनुसंधान सेवा (ARS) और तकनीकी सेवा (TS), तथा दोनों सेवाएं अपने स्वतंत्र नियमों द्वारा संचालित होती हैं, जिनमें अलग-अलग संवर्ग और अलग-अलग पदोन्नति के अवसर हैं.
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शीर्ष अदालत की पीठ ने आईसीएआर की इस दलील को स्वीकार किया कि महज पीएचडी योग्यता प्राप्त करने के बाद तकनीकी कार्मिक दो अग्रिम वेतन वृद्धि के लिए पात्र नहीं होंगे जबकि उनके लिए इसकी सिफारिश नहीं की गई है.
सबको समान लाभ क्यों नहीं?
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा, ‘कर्मचारियों के विभिन्न समूह, जो सहायता करते हुए काम कर रहे हैं, लेकिन अलग-अलग नियमों के दायरे में आते हैं और उनके अलग-अलग कर्तव्य हैं तथा केवल इसलिए कि वे भी उस योग्यता को प्राप्त कर लेते हैं, उन लाभों के हकदार नहीं होंगे जो सक्षम प्राधिकारी द्वारा कर्मचारियों के विभिन्न समूहों को दिए गए थे.’
पीठ ने कहा कि किसी भी संस्थान में किसी विशेष श्रेणी के कर्मचारियों को उनकी नौकरी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सेवा के दौरान उच्च योग्यता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन दिया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘केवल इसलिए कि अध्ययन अवकाश विनियम, 1991 का विस्तार तकनीकी कर्मियों तक किया गया, इससे उन्हें अन्य लाभ प्राप्त करने का अधिकार नहीं मिलेगा जो वैज्ञानिकों को उपलब्ध हैं. तकनीकी कर्मियों को पीएचडी करने के लिए अध्ययन अवकाश देने का विचार केवल उन्हें अपनी योग्यता में सुधार करने में सक्षम बनाने के लिए था.’
PhD Courses क्या होती है पीएचडी?
PhD का पूरा नाम डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (Doctor of Philosophy) होता है जिसमे आपको किसी एक विषय का ज्ञान निचोड़कर प्रदान किया जाता है. पीएचडी (PhD) भारत की सर्वोच्च डिग्री है. इसे करने पर आपको संबंधित विषय का एक्सपर्ट यानी ज्ञाता मान लिया जाता है.
(इनपुट: PTI)
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