Supreme Court on Nameplate Row: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा (Uttar Pradesh Kanwar Yatra) रूट पर खाने-पीने की दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाए जाने के योगी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. आदेश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'खाद्य विक्रेताओं को मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए'. कोर्ट ने इस मामले को लेकर यूपी, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड को भी नोटिस जारी किया है. यानि दुकानदारों को अभी नेम प्लेट लगाने की बाध्यता नहीं होगी. इस तरह सर्वोच्च अदालत से न सिर्फ UP की योगी आदित्यनाथ की सरकार बल्कि MP की मोहन यादव सरकार और उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार को भी झटका लगा है.


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TMC की सांसद महुआ मोइत्रा ने UP और उत्तराखंड सरकारों के उस आदेश के खिलाफ SC का रुख किया था. जिसमें कहा गया है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे. महुआ की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी ने जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच से कहा कि भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए ‘परोक्ष’ आदेश पारित किए गए हैं. इसके बाद बेंच ने सिंघवी से पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड ने भोजनालय मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के संबंध में कोई औपचारिक आदेश दिया है?


कोर्ट रूम LIVE


कोर्ट के सामने SSP मुजफ्फरनगर पुलिस की ओर से 17 जुलाई को जारी निर्देश को चुनौती दी गई थी. सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा- 'कांवड यात्रा लंबे समय से चल रही है. सभी धर्म के लोग कावड़ियों की मदद करते है. अब इस तरह का विभाजन हो रहा है. भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड का आदेश ‘पहचान के आधार पर बहिष्कार’ है और यह संविधान के भी खिलाफ है.'


सुनवाई के दौरान ये भी कहा गया कि दुकानदारों को भी ये बात बतानी होगी कि वो किस तरह का खाना परोस रहे हैं. मोइत्रा ने अपनी याचिका में दोनों राज्य सरकारों द्वारा जारी आदेश पर रोक लगाए जाने का आग्रह करते हुए कहा था कि ऐसे निर्देश समुदायों के बीच विवाद बढ़ाते हैं. इसी याचिका में आरोप लगाया गया है कि संबंधित आदेश मुस्लिम दुकान मालिकों और कारीगरों के आर्थिक बहिष्कार तथा उनकी रोजीरोटी को नुकसान पहुंचाने के मकसद से जारी किया गया है. 


विपक्ष ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत 


अब इस पर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैंं. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी और AIMIM ने इस पर विरोध जताया था. NDA के सहयोगी दल रालोद और लोजपा (रामबिलास) ने भी फैसले को गलत बताया था. ओवैसी ने इस सरकारी आदेश की तुलना दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद से की. TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने यूपी सरकार के उस आदेश को संविधान विरोधी बताया था. वहीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी, बाराबंकी से कांग्रेस MP तनुज पुनिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही बताया है. केसी त्यागी ने कहा, कांवड़ यात्रा रूट पर शराब पर भी बैन लगाना चाहिए.

कैसे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला?


बजट सत्र से पहले 21 जुलाई को सर्वदलीय बैठक में भी नेम प्लेट विवाद का मुद्दा उठा था. कांग्रेस नेता गौरव गोगोई, सपा नेता रामगोपाल यादव, AIMIM नेता ओवैसी और आप नेता संजय सिंह समेत लगभग हर विपक्षी दल के नेताओं ने कावंड़ यात्रा के दौरान 'नेम प्लेट' लगाने के योगी सरकार के फैसले पर चिंता जताई थी. आपको बता दें कि एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के NGO ने यूपी सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए याचिका लगाई थी.