Petitions Against Demonetisation: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह,  2016 में पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 अक्टूबर को सुनवाई करेगा. न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि यदि याचिकाएं एक सैद्धांतिक प्रक्रिया की दृष्टि से दायर की गई हैं तो इनका संज्ञान लिया जाएगा. इस पीठ में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना भी शामिल रहे. पीठ केंद्र के आठ नवंबर, 2016 के निर्णय को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के याचिकाकर्ताओं के वकील से पूछा कि क्या यह मुद्दा अब जीवित है?


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केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट में यह मुद्दा नहीं टिकेगा और यह एक वाद विवाद का विषय बन कर रह जाएगा, जिस पर बहस करने के लिए वो तैयार हैं.  पीठ ने कहा कि पहले से ही लंबित मामलों का बोझ है.'


कई याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि मामला अभी भी जिंदा है और अदालत को इस पर सुनवाई करनी चाहिए. इस पर न्यायमूर्ति गवई ने पूछा,  "सवाल यह है कि क्या कुछ बचा हुआ है..." पीठ ने कहा कि इस मामले में दो पहलू हैं, पहला कार्रवाई की वैधता और नोटबंदी के कार्यान्वयन से जुड़ी समस्या.


 


बता दें 8 नवंबर 2016 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि मध्यरात्रि से 500 और 1,000 रुपये के नोट भारत में वैध मुद्रा नहीं रहेंगे. मोदी ने कहा था कि यह फैसला 'भ्रष्टाचार, काले धन और आतंकवाद से लड़ने' के लिए लिया गया है. नोटबंदी के बाद 2,000 रुपये के नोट और 500 रुपये के नोट नए डिजाइन के साथ पेश किए गए थे.


विपक्षी दल उठाते रहे हैं नोटबंदी पर सवाल
विपक्षी दल सरकार के इस फैसला का लगातार विरोध करते आए हैं. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह कदम अपने घोषित उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल रहा,  और इसके बजाय आम नागरिकों को कठिनाई हुई, जो अपनी दैनिक जरूरतों के लिए नकदी पर निर्भर थे.


हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नोटबंदी के कदम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर निशाना साधा. 22 सितंबर को उन्होंने आरोप लगाया कि यह व्यापारियों पर एक वित्तीय हमला था, जिससे उनका नकदी प्रवाह प्रभावित हुआ और उनके कारोबार तबाह हो गए. गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छोटे और मध्यम व्यवसायों पर नोटबंदी के परिणामों से अच्छी तरह वाकिफ थे.


(इनपुट - भाषा)


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