Supreme Court on Citizenship Act: विदेशी नागरिकों के नागरिकता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 4-1 के बहुमत से नागरिकता कानून की धारा 6A को सही माना है. नागरिकता कानून की धारा 6A को 1985 में असम समझौते के दौरान जोड़ा गया था.


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ये समझौता भारत सरकार और असम आंदोलन के नेताओं के बीच हुआ समझौता था. इस कानून के तहत जो बांग्लादेशी अप्रवासी 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक असम आए हैं उनको भारतीय नागरिकता मिल सकती है. लेकिन 25 मार्च 1971 के बाद असम आने वाले विदेशी भारतीय नागरिकता के लायक नहीं हैं.


2012 में दायर की गई थीं याचिकाएं


2012 में इस कानून के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थी और आरोप लगाया गया कि ये भेदभावपूर्ण और गलत है. इस कानून की वजह से बांग्लादेश से आए अवैध शरणार्थियों की वजह से डेमोग्राफी बदल गई है. लेकिन कोर्ट ने आज सारे आरोपों को खारिज करते हुए 12 साल के बाद इस मामले में फैसला दे दिया है.


CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे. फैसले पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सहित चार जजों ने सहमति जताई है. वहीं जस्टिस जेबी पारदीवाला ने असहमति जताई.


घुसपैठियों की पहचान करने के लिए असम में NRC का काम चल रहा है. पिछले महीने ही असम के मुख्यमंत्री ने कहा था कि असम में बिना एनआरसी के आधार कार्ड नहीं बनेगा.


घुसपैठियों का अब क्या करना है?


एक तरफ से सवाल उठ रहा है कि भारत पहुंचे घुसपैठियों का क्या करना है तो वहीं आज इटली से एक तस्वीर सामने आई. इटली की सरकार ने समुद्र के रास्ते आ रहे शरणार्थियों को सीधे अल्बानिया भेज दिया है. आज शरणार्थियों का पहला जत्था अल्बानिया के शेंगजिन बंदरगाह पर पहुंचा.


इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने इसे एक नया, साहसी और अभूतपूर्व फैसला बताया है. इन शरणार्थियों को इटली की नौसेना के जहाज ने एस्कॉर्ट किया है. इन्हें लीबिया से निकलने के बादसमुद्र में ही इंटरसेप्ट किया गया. इनमें दस बांग्लादेश और 6 मिस्र के नागरिक थे.