Chandigarh Mayor Election: चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धांधली का वीडियो जबरदस्त चर्चा में है. बीजेपी की जमकर किरकिरी हुई है. इसमें returning officer आठ ballot papers पर क्रॉस के निशान लगाकर उन्हें InValid घोषित कर रहे हैं. उस वीडियो के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में मेयर पद पर बीजेपी उम्मीदवार की जीत को In Valid घोषित कर दिया है और AAP उम्मीदवार को जीता हुआ घोषित कर दिया. 


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ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी चुनाव के नतीजों का खुद ऐलान किया है. लेकिन सवाल ये है कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में returning officer धांधली के मास्टरमाइंड थे या सिर्फ मोहरा. इसका जवाब सुप्रीम कोर्ट के फैसले में छिपा है जिसका हम विश्लेषण करेंगे. और आपको बताएंगे कि कैसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बीजेपी का बना बनाया गेम बिगाड़ दिया है.


मेयर चुनाव में क्या हुआ?
असल में चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में क्या हुआ. ये सबने देखा है. जब मेयर चुनाव में रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह की हरकत cctv कैमरे में रिकॉर्ड हुई.
ये वीडियो पहली बार देखा होगा तो सोचा होगा कि ये लोकतंत्र का मजाक है.
रिटर्निंग अफसर की हरकत देखकर तो साफ है कि लोकतंत्र की हत्या हुई है.
ये रिटर्निंग अफसर क्या कर रहा है?
हम नहीं चाहते कि देश में लोकतंत्र की हत्या हो
हम ऐसा नहीं होने देंगे.
ये सारी टिप्पणियां इस वीडियो को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को की थीं और कहा था कि सुप्रीम कोर्ट आंखें बंद कर नहीं बैठा रहेगा.
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सुप्रीम कोर्ट में दिखाई गई ये Video Clip 30 जनवरी की है. जब मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी कैंडिडेट को मिले आठ वोटों को अयोग्य ठहराने का गेम चल रहा था. और इस खेल के Main खिलाड़ी थे इस चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह..जो वीडियो में हेर-फेर करते हुए दिख रहे हैं. और अपनी चोरी को छिपाने के लिए बार-बार CCTV कैमरों को चेक कर रहे हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो देखा और..
रिटर्निंग अफसर की इसी हेराफेरी के चलते मेयर चुनाव के Unfair गेम में बीजेपी की जीत हुई थी. जिसके कैंडिडेट मनोज सोनकर को मेयर पद की कुर्सी मिल गई थी. क्योंकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के कैंडिडेट को मिले बीस में से 8 वोटों को रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह ने Invalid घोषित कर दिया था. जिसकी वजह से 16 वोट पाने वाले बीजेपी कैंडिडेट की जीत हुई थी. जिसके खिलाफ आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई..सुप्रीम कोर्ट ने रिटर्निंग अफसर की हेरा-फेरी का वीडियो देखा और उन्हें तलब कर लिया.


आज सुप्रीम कोर्ट ने मेयर पद पर बीजेपी कैंडिडेट की जीत को रद्द कर दिया और आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट कुलदीप कुमार को विजयी घोषित कर दिया. जिसके बाद आम आदमी पार्टी में खुशी की लहर दौड़ गई. चंडीगढ़ में कुलदीप कुमार की ताजपोशी का कार्यक्रम भी आयोजित हो गया. मिठाइयां बंट गईं. 30 जनवरी को आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट नतीजे घोषित होने के बाद रोये थे..आज सुप्रीम कोर्ट से जीत का फैसला सुनकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था.


इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा कि किसी चुनाव का नतीजा..सुप्रीम कोर्ट ने खुद घोषित किया हो. लेकिन कुछ लोगों को लग सकता है कि ये तो गलत है. लेकिन ऐसे लोगों को शायद पता नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट को ये ताकत..संविधान में दी गई है.


संविधान के अनुच्छेद 142 में कहा गया है कि -
दो पक्षों में पूर्ण न्याय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ऐसे उपाय भी कर सकता है जिनके बारे में कोई लिखित प्रावधान नहीं है.


आज सुप्रीम कोर्ट ने अपनी इसी संवैधानिक शक्ति का इस्तेमाल करके मेयर चुनाव के नतीजे घोषित किये हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट को आखिर ऐसा करना क्यों पड़ा? ये समझने के लिए आपको सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की बहस और रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह से चीफ जस्टिस के सवाल जवाब जानने चाहिए...


19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अनिल मसीह से चीफ जस्टिस ने पूछा -
आपने किस कानून के तहत बैलट पेपर पर निशान लगाया?
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अनिल मसीह ने जवाब दिया -
जो बैलेट पेपर खराब हो गए थे, उन्हें अलग करना था और उनकी पहचान के लिए ही मैं ऐसा कर रहा था.
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चीफ जस्टिस ने दूसरा सवाल किया -
वीडियो में दिख रहा है कि आपने क्रॉस का निशान लगाया था. ऐसा क्यों किया और कितने बैलट पेपर पर किया?
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अनिल मसीह ने जवाब दिया -
मैंने ऐसा 8 बैलट पेपर पर किया था. क्योंकि उम्मीदवारों ने बैलेट पेपर्स को छीन लिया था, उन्हें मोड़ दिया था और उन्हें खराब कर दिया था. इसलिए उनकी पहचान के लिए ही क्रॉस का निशान लगाया था.


इस जवाब पर चीफ जस्टिस ने फिर पूछा -
आप चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे थे. बैलट पेपर को खराब करने का काम आप क्यों कर रहे थे? आपको सिर्फ कागज पर साइन करने थे.


इसके बाद चीफ जस्टिस ने Solicitor General को कहा - रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए.


यानी चीफ जस्टिस ने ये माना कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जान-बूझकर बैलेट पेपर्स को खराब किया गया. जो कि गैरकानूनी है.


क्योंकि नियम के मुताबिक मेयर चुनाव में बैलेट पेपर सिर्फ 3 Condition में Invalid हो सकते हैं.
एक - अगर एक बैलेट पेपर पर एक से ज्यादा उम्मीदवार के नाम पर वोट किया गया हो.
दूसरी - अगर बैलेट पेपर पर ये साफ ना हो कि वोट किस उम्मीदवार को दिया गया है.
और तीसरी - बैलेट पेपर पर कोई खास चिन्ह बना दिया गया हो.


लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ये माना है कि ये तीनों ही चीजें उन आठ बैलेट पेपर्स पर Apply नहीं होतीं. क्योंकि उन बैलेट पेपर्स पर बाद में क्रॉस का निशान लगाया गया था और ये काम रिटर्निंग अफसर ने खुद किया था. इसलिए चीफ जस्टिस ने रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह पर मुकदमा चलाए जाने का आदेश भी दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इसकी वजह भी बताईं हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि -
नियमों के मुताबिक वोटिंग के वक्त हर सदस्य को बैलेट पेपर के दाहिनी तरफ उस उम्मीदवार के सामने क्रॉस का निशान लगाना था, जिसे वो मेयर चुनना चाहते हैं.
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जांच में पता चला है कि -
जिन आठ बैलेट पेपर्स को अवैध करार दिया गया, उनमें AAP कैंडिडेट के पक्ष में वोट दिया गया था. रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह ने इन पर स्याही से निशान लगाया.


सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि -
रिटर्निंग अफसर ने जानबूझकर आठ बैलेट पेपर्स को खराब करने का काम किया. कोई भी बैलेट खराब नहीं था.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि -
अपनी हरकत से अनिल मसीह ने मेयर चुनाव के नतीजों को बदल दिया. कोर्ट में लगातार झूठ बोला, जिसके लिए वो जिम्मेदार हैं.


अब अनिल मसीह पर CRPC की धारा 340 के तहत केस चलेगा. क्योंकि उन्होंने अपनी हरकत को सही साबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामने झूठी गवाही दी. इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आज चंडीगढ़ मेयर चुनाव के नतीजों को रद्द कर दिया. और AAP कैंडिडेट को विजयी घोषित कर दिया. आम आदमी पार्टी..सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लोकतंत्र की जीत बता रही है...


सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आम आदमी पार्टी के लिए जितनी बड़ी जीत है. बीजेपी के लिए उतना ही बड़ा Setback है. क्योंकि सबको लग रहा था कि सुप्रीम कोर्ट..मेयर पद के चुनाव दोबारा करवाने का आदेश दे देगा.


और इसकी तैयारी बीजेपी ने पहले ही कर ली थी. आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद बीजेपी में शामिल हो चुके थे. ताकि अगर दोबारा चुनाव हों तो मेयर पद पर बीजेपी की जीत पक्की हो जाए. कैसे..अब ये समझिये.


चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद. जबकि एक वोट चंडीगढ़ सांसद का होता है. यानी कुल 36 वोट.
बीजेपी के 14 पार्षद हैं, इसमें अगर चंडीगढ़ से बीजेपी सांसद किरण खेर का वोट जोड़ ले तो बीजेपी के 15 वोट हो जाते. और बीजेपी ज्वाइन करने वाले तीन पूर्व AAP पार्षदों के साथ ये आंकड़ा 18 हो जाता. इसमें अकाली दल का एक पार्षद वोट मिलकर ये संख्या 19 हो जाती. जबकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पास 17 पार्षद ही रह जाते. यानी बीजेपी को बहुमत मिल जाता. और बीजेपी आसानी से अपना मेयर बना लेती.


बीजेपी को ये समझ में आ चुका था कि सुप्रीम कोर्ट रिटर्निंग अफसर की हरकत को नजरअंदाज नहीं करेगा. और नतीजों को रद्द कर देगा. इसलिए पहले तो बीजेपी ने अनिल मसीह को पार्टी से निकाला. और फिर मनोज सोनकर को मेयर पद से इस्तीफा दिलवाया. इस तरह बीजेपी ने खुद को अनिल मसीह से अलग कर लिया. और उन्हें बचाने पर Energy waste करने के बजाय सुप्रीम कोर्ट को दोबारा चुनाव करवाने का आदेश देने के लिए मनाने पर Focus कर लिया. लेकिन बीजेपी की Planning पर कैसे पानी फिरा..ये आपको बताते हैं...


सुनवाई के दौरान AAP कैंडिडेट के वकील ने कहा -
हमारा मानना है कि नए सिरे से चुनाव की बजाय वर्तमान बैलेट पेपर्स की गिनती, निशानों की परवाह किए बिना की जाए और नतीजा घोषित किया जाए.
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इसका विरोध करते हुए बीजेपी मेयर कैंडिडेट के वकील ने कहा -
नियमों के अनुसार ऐसा नहीं किया जा सकता.
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AAP कैंडिडेट के वकील ने तर्क दिया कि-
इस पूरे मामले को लेकर हॉर्स ट्रेडिंग हो सकती है.
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बीजेपी मेयर कैंडिडेट के वकील ने दलील दी कि -
चुनाव को रद्द करने पर नए सिरे से चुनाव होने चाहिए.
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इस पर AAP कैंडिडेट के वकील ने कहा -
ये फिर से चुनाव इसलिए चाहते हैं ताकि फायदा उठा सकें. नए इलेक्शन के दौरान ये पार्षदों को तोड़ सकते हैं.


दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और चुनाव के दौरान धांधली के Videos देखने के बाद चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की थी कि..


हॉर्स ट्रेडिंग एक गंभीर मामला है. हम इसे लेकर चिंतित हैं. मगर हमारा मानना है कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव परिणाम नए चुनाव के बजाय वर्तमान वोटों के आधार पर घोषित किए जाने चाहिए.


यानी सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि अगर नए सिरे से चुनाव होते हैं तो ह़ॉर्स ट्रेडिंग यानी पार्षदों की खरीद-फरोख्त होने का डर है.
आज सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा चुनाव ना करवाने की संवैधानिक वजह भी क्लियर की है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि


पूरे चुनाव में सिर्फ वोटों की गिनती ही गलत तरीके से हुई. इसलिए पूरे चुनाव को रद्द करना गलत होगा. जो भी गलत हुआ, वो रिटर्निंग अफसर के गलत व्यवहार की वजह से हुआ.


इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने आज खुद ही मेयर चुनाव के नतीजों का ऐलान कर दिया. जिसमें आम आदमी पार्टी की जीत हुई और बीजेपी को हार मिली. अब बीजेपी को समझ नहीं आ रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर करें तो करें क्या...कहें तो कहें क्या? (INPUT- DNA)