Swamy Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि वह बिना किसी पद के भी पार्टी के लिए काम करते रहेंगे. उन्होंने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को एक पत्र लिखकर इस बारे में जानकारी दी है. मौर्य ने हाल ही में रामचरितमानस पर एक विवादित बयान दिया था, जिसके बाद पार्टी के अंदर और बाहर से उनका जमकर विरोध हुआ था. हालांकि सपा ने मौर्य के बयान से किनारा कर लिया था.


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असल में स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव के नाम भेजे अपने पत्र में लिखा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जी, जबसे मैं समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हुआ, लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की. सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था 'पच्चासी तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है'. हमारे महापुरूषों ने भी इसी तरह की लाइन खींची थी.' फिर उन्होंने लिखा बिना किसी मांग के आपने मुझे विधान परिषद् में भेजा और ठीक इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव बनाया, इस सम्मान के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. इसके बाद उन्होंने पार्टी में अपने योगदानों के बारे में लिखा.


पत्र में बयां कर दिया अपना दर्द
उन्होंने आगे लिखा कि मेरे खिलाफ अनेको एफआईआर भी दर्ज कराई गई किंतु अपनी सुरक्षा की बिना चिंता किये हुए मैं अपने अभियान में निरंतर चलता रहा. हैरानी तो तब हुई जब पार्टी के वरिष्ठतम नेता चुप रहने के बजाय मौर्य जी का निजी बयान कह करके कार्यकर्ताओं के हौसले को तोड़ने की कोशिश की, मैं नहीं समझ पाया एक राष्ट्रीय महासचिव मैं हूं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है, एक ही स्तर के पदाधिकारियों में कुछ का निजी और कुछ का पार्टी का बयान कैसे हो जाता है, यह समझ के परे है. 


राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव?
स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह भी लिखा कि हैरानी यह है कि मेरे इस प्रयास से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ो का रुझान समाजवादी पार्टी के तरफ बढ़ा है. बढ़ा हुआ जनाधार पार्टी का और जनाधार बढ़ाने का प्रयास व वक्तव्य पार्टी का न होकर निजी कैसे? यदि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो में समझता हूं ऐसे भेदभाव पूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है. इसलिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से मैं त्यागपत्र दे रहा हूं, कृपया इसे स्वीकार करें. 


पार्टी से नहीं दिया इस्तीफा
अपने पत्र के आखिरी में उन्होंने लिखा कि पद के बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने के लिए में तत्पर रहूंगा. आप द्वारा दिए गए गए सम्मान, स्नेह व प्यार के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. उन्होंने अपना पूरा पत्र अपने सोशल मीडिया पर भी शेयर किया है.