नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच ऐतिहासिक वार्ता की शुरुआत हो चुकी है. सिंधु जल बंटवारे (Indus Water Sharing) को लेकर आज से स्थायी आयोग की दो दिवसीय बैठक शुरू हो गई है. करीब तीन साल के अंतराल के बाद हो रही इस बैठक को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. बता दें कि दोनों देशों के बीच साल 1960 की जल संधि के तहत स्थायी सिंधु आयोग की स्थापना की गई थी. इस आयोग की नई दिल्ली में 23 और 24 मार्च को बैठक आयोजित की गई है. वार्ता के लिए पाकिस्तान का सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को भारत पहुंच गया था. 


Pulwama Attack के बाद से तनावपूर्ण हैं रिश्ते


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सिंधु जल बंटवारे को लेकर पहले दिन की बैठक सुबह 10:05 मिनट पर शुरू हुई. इस दौरान, दोनों पक्षों ने अपने-अपने विचार रखे और जल बंटवारे से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया. गौरतलब है कि बैठक संधि के अनुसार स्थायी सिंधु आयोग की साल में कम से कम एक बार बैठक कराने पर सहमति बनी थी, लेकिन पुलवामा हमले के बाद से दोनों ही देशों के रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए थे. इस वजह से बैठक आयोजित नहीं की जा सकी. 


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Pakistan इस पर जता सकता है आपत्ति


सिंधु जल आयोग का कार्य दोनों देशों के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के उचित बंटवारे की निगरानी करना है. जानकारों का मानना है कि आयोग की इस बैठक में पाकिस्तान, भारत की पाकल दुल और लोवर कलनई हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लांट के डिजाइन पर आपत्ति जता सकता है. उनका यह भी कहना है कि तीन साल बाद हो रही यह बैठक दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने की शुरुआत हो सकती है. पाकिस्तान वैसे ही पिछले कुछ समय से सामान्य रिश्तों की वकालत कर रहा है.