गुजरात के बाद अब MP में कांग्रेस ने छेड़ा हिंदुत्व राग, राहुल गांधी करेंगे इन प्रमुख मंदिरों के दर्शन
अजय सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, `हिन्दू धर्म का ठेका बीजेपी ने ले रखा है क्या`
भोपाल: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के लिए बनाए गए मिशन 2018 के लिए कांग्रेस ने हिंदुत्व राग छेड़ दिया है. एमपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे अजय सिंह ने इस बारे में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, हम भी हिदुत्व की भावना रखते हैं, प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी प्रदेश के मंदिरों का दौरा करेंगे." इस दौरान अजय सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, "हिन्दू धर्म का ठेका बीजेपी ने ले रखा है क्या". बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी ने AICC को प्रदेश के प्रमुख 10 मंदिरों की सूची भेज दी है.
कांग्रेस ने सुझाये इन मंदिरों के नाम
कांग्रेस के स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने राज्य के जिन 10 प्रमुख मंदिरों की लिस्ट दिल्ली मुख्यालय भेजी है उनमें ये मंदिर शामिल हैं...
1. उज्जैन- महाकालेश्वर मंदिर
महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है. पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है. स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है. ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
2. ओरछा- रामराजा मंदिर
यह मंदिर भगवान राम की मूर्ति के लिए बनवाया गया था, लेकिन मूर्ति स्थापना के वक्त यह अपने स्थान से हिली नहीं. इस मूर्ति को मधुकर शाह के राज्यकाल (1554-92) के दौरान उनकी रानी गनेश कुवर अयोध्या से लाई थीं. चतुर्भुज मंदिर बनने से पहले इसे कुछ समय के लिए महल में स्थापित किया गया. लेकिन मंदिर बनने के बाद कोई भी मूर्ति को उसके स्थान से हिला नहीं पाया. इसे ईश्वर का चमत्कार मानते हुए महल को ही मंदिर का रूप दे दिया गया और इसका नाम रखा गया राम राजा मंदिर. आज इस महल के चारों ओर शहर बसा है और राम नवमी पर यहां हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं. वैसे, भगवान राम को यहां भगवान मानने के साथ यहां का राजा भी माना जाता है, क्योंकि उस मूर्ति का चेहरा मंदिर की ओर न होकर महल की ओर है.
3. मैहर- शारदा माता मंदिर
मैहर में शारदा माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है. जिला सतना की मैहर तहसील के समीप त्रिकूट पर्वत पर मैहर देवी का यह मंदिर स्थित है. यह न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि इस मंदिर के विविध आयाम भी हैं. इस मंदिर की चढ़ाई के लिए 1063 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है. इस मंदिर में दर्शन के लिए हर वर्ष लाखों की भारी भीड़ जमा होती है. पूरे भारत में सतना का मैहर मंदिर माता शारदा का अकेला मंदिर है. इसी पर्वत की चोटी पर माता के साथ ही श्री काल भैरवी, भगवान, हनुमान जी, देवी काली, दुर्गा, श्री गौरी शंकर, शेष नाग, फूलमति माता, ब्रह्म देव और जलापा देवी की भी पूजा की जाती है.
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर से करीब 75 किलोमीटर दूर स्थित है. यह शिवजी का चौथा प्रमुख ज्योतिर्लिंग कहलाता है. ओंकारेश्वर में ज्योतिर्लिंग के दो रुपों ओंकारेश्वर और ममलेश्वर की पूजा की जाती है. यहां पर नर्मदा नदी दो भागों में बंट कर मान्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप का निर्माण करती हैं यह द्वीप या टापू करीब 4 किमी लंबा और 2 किमी चौड़ा है. इस द्वीप का आकार ओम् अथवा ओमकार जैसा नजर आता है.
5. होशंगाबाद- नर्मदा सेठानी घाट
सेठानी घाट मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है. सेठानी घाट का निर्माण 19 वीं सदी में हुआ था और भारत के सबसे बड़े घाटों में से एक है. सेठानी घाट के निर्माण में जानकीबाई सेठानी का प्रमुख योगदान रहा है इसीलिए इस घाट का नाम सेठानी घाट रखा गया है. नर्मदा जयंती समारोह के दौरान इस घाट पर हजारों लोग इकट्ठा होते हैं और नदी में दीये जलाते हैं. सेठानी घाट राज्य में पवित्र स्नान के लिए सबसे लोकप्रिय है.
6. इंदौर- खजराना गणेश मंदिर
खजराना मंदिर इंदौर का प्रसिद्ध गणेश मंदिर है. यह मंदिर विजय नगर से कुछ दूरी पर खजराना चौक के पास में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण अहिल्या बाई होल्कर द्वारा करवाया गया था. इस मंदिर में मुख्य मूर्ति भगवान गणपति की है, जो केवल सिन्दूर द्वारा निर्मित है.
7. चित्रकूट- कामतानाथ मंदिर
चित्रकूट का कामतानाथ मंदिर भी पौराणिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है. मान्यताओं के अनुसार आदिकाल में पर्वत से निकलकर प्रभु कामदनाथ विग्रह के रूप में प्रकट हुए थे. मानवी काया के अनुसार उनके मुख पर दांत भी हैं. सात शालीग्राम रूपी दांतों में पांच का पूजन रोजाना किया जाता है. कामदगिरि, चित्रकूट तीर्थ स्थल का सबसे प्रमुख अंग है और सभी श्रद्धालु-यात्री कामदगिरि की परिक्रमा अवश्य करते हैं. श्रद्धालुओं द्वारा इसकी परिक्रमा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कामदगिरि के मुख्य देव भगवान कामतानाथ हैं.
8. सीहोर- बिजासन माता सलकनपुर
MP के सीहोर जिले में है सलकनपुर नाम का एक गांव है जहां 1000 फीट ऊंची पहाड़ी पर बिजासन देवी विराजमान हैं. यह देवी मां दुर्गा का अवतार बताई जाती हैं. देवी का यह मंदिर MP की राजधानी भोपाल से 75 किमी दूर है. वहीं यह पहाड़ी मां नर्मदा से 15 किलोमीटर दूर स्थित है. इस मंदिर पर पहुंचने के लिए भक्तों को 1400 सीढ़ियों का रास्ता पार करना पड़ता है. जबकि इस पहाड़ी पर जाने के लिए कुछ वर्षों में सड़क मार्ग भी बना दिया गया है. यहां पर दो पहिया और चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है. यह रास्ता करीब साढ़े 4 किलोमीटर लंबा है. इसके अलावा दर्शनार्थियों के लिए रोप-वे भी शुरू हो गया है, जिसकी मदद से यहां 5 मिनट में पहुंचा जा सकता है.
9. मंदसौर- पशुपतिनाथ मंदिर
शिवना नदी की कोख से निकली शिव की यह प्रतिमा विश्व प्रसिद्ध है. नेपाल के पशुपतिनाथ में चार मुख की प्रतिमा है, जबकि मंदसौर में प्रतिमा अष्टमुखी है. 19 जून 1940 को शिवना नदी से बाहर आने के बाद 21 साल तक भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा नदी के तट पर ही रखी रही. प्रतिमा को सबसे पहले स्व. उदाजी पुत्र कालू जी धोबी ने चिमन चिश्ती की दरगाह के सामने नदी के गर्भ में दबी अवस्था में देखा था. प्रतिमा को नदी से बाहर निकलने के बाद चैतन्य आश्रम के स्वामी प्रत्याक्षानंद महाराज ने 23 नवंबर 1961 को इसकी प्राण प्रतिष्ठा की. 27 नवंबर को मूर्ति का नामकरण पशुपतिनाथ कर दिया गया. इसके बाद मंदिर निर्माण हुआ.
10. अमरकंटक- नर्मदाकुंड नर्मदा नदी का उद्गम स्थल
नर्मदाकुंड नर्मदा नदी का उदगम स्थल है. इसके चारों ओर अनेक मंदिर बने हुए हैं. इन मंदिरों में नर्मदा और शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, गुरू गोरखनाथ मंदिर, श्री सूर्यनारायण मंदिर, वंगेश्वर महादेव मंदिर, दुर्गा मंदिर, शिव परिवार, सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, श्रीराधा कृष्ण मंदिर और ग्यारह रूद्र मंदिर आदि प्रमुख हैं. कहा जाता है कि भगवान शिव और उनकी पुत्री नर्मदा यहां निवास करते थे. माना जाता है कि नर्मदा की उत्पत्ति शिव की जटाओं से हुई है, इसीलिए शिव को जटाशंकर कहा जाता है.