Army On Action Mode: कश्मीर घाटी में माछिल सेक्टर की नियंत्रण रेखा का इलाका इस साल घुसपैठ करने वाले आतंकियों के लिए मौत की घाटी बन गई है. पिछले 06 महीनों में पांच अलग-अलग आतंकी विरोधी अभियानों के दौरान सेना के विशेष कमांडो ने 10 घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया है, उनके पास से सेना ने 33 एके- 47 राइफलें और आधा क्विंटल से ज्यादा नशीला पदार्थ और भारी मात्रा में गोला बारूद और पाकिस्तानी मुद्रा बरामद की है.


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POK से घुसपैठ की कोशिश


माछिल की नियंत्रण रेखा जहां इस बार पाकिस्तानी आतंकियों ने POK से घुसपैठ की बेहद कोशिश की क्योंकि यह इलाका काफी गाने जंगलों वाला इलाका है जिसका लाभ आतांकी उठाना चाहते थे मगर सेना की तैयारी के समय आतंकियों के सभी मंसूबे नाकाम हुए. सेना की इस अचूक तैयारी को देखने के लिए ज़ी न्यूज़  की टीम सेना के स्पेशल कमांडो के साथ माछिल सेक्टर के आखिर पोस्ट पर पहुंची. यह वो ही चौकी है जिसने मई और जून में 6 आतंकियों ढेर कर दिया था चौकी से केवल 500 मीटर की दूरी पर.


आतंकवादी विरोधी ऑपरेशन


कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर में सेना के यह हालिया में किए गए बड़े आतंकवादी विरोधी ऑपरेशन थे और इनका प्रत्यक्ष अनुभव लेने के लिए, हमारी टीम एलओसी की इस आखिरी पोस्ट पर पहुंची. सेना के मुताबिक 3 मई 02 और 24-जून-2023 को 04 आतंकवादियों को यहां मार गिराया गया था. इन ऑपरेशन में सेना ने फायर एंड मूव तकनीक इस्तेमाल की थी. सेना के स्पेशल कमांडो ने सामरिक एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन का लाइव ड्रिल किया और चार डमी टारगेट को वैसे ही खत्म कर दिया, जैसे एक महीने पहले उन्होंने वहां पोस्ट से महज 500 मीटर की दूरी पर घुसपैठ कर रहे असली आतंकियों को मार गिराया था.


हथियारों से लैस सेना की दुश्मन पर नजर


सेना दुश्मनों की चाल का मुकाबला करने और मातृभूमि के हर इंच को दुश्मन के साथ-साथ घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों से सुरक्षित रखने के लिए नवीनतम उपकरणों और हथियारों से लैस है. एलओसी (LOC) की इस आखिरी चौकी पर सेना को दो किलोमीटर की लक्ष्य सीमा वाली राइफलों से लैस किया गया है, इसके अलावा विशेष कमांडो के पास स्नाइपर राइफलें, ग्रेनेड लॉन्चर और अमेरिकन मेड Sig Sauer rifles  स्विस मेड स्नाइपर जैसे हथियार सेना के सफल आतंकवादी विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.


24 घंटे अलर्ट मोड पर सेना


सेना ने एलओसी क्षेत्र (LOC Area) में कई निगरानी चौकियां स्थापित की हैं, जहां से सेना के जवान हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखते हैं. यह पोस्ट LOC के दूसरी तरफ POK में दुश्मनों की हर हरकत पर भी नजर रखती रहती है. ये पोस्ट के आसपास के इलाके का नजदीकी दृश्य देखने के लिए हाई टेक नाइट विजन कैमरा, थर्मल इमेजिंग कैमरा, नवीनतम दूरबीन से लेस हैं. पोस्ट में नाइट विजन और थर्मल इमेज कैमरे का एक बड़ा डिस्प्ले सेटअप भी है और यह सैनिकों को रात के समय और खराब मौसम की स्थिति के दौरान दुश्मनों और आतंकवादियों की गतिविधियों का नजर रखने में मदद करता है.


थोड़े-थोड़े अंतराल पर जारी है गश्त


नियंत्रण रेखा पर तैनात सेना के जवाब केवल टेक्नोलॉजी पर ही निर्भर नहीं रहते हैं इसलिए निगरानी चौकियों के अलावा सेना के जवान एलओसी पर लगी फेंसिंग के करीब अपना गश्त लगातार जारी रखते है. यह गश्त दिन -रात थोड़े-थोड़े अंतराल पर जारी रहती है.


जब भी सेना को आतंकवादियों की आवाजाही के बारे में कोई विशेष जानकारी मिलती है, तो सेना एलओसी के करीब Camouflage स्नैपर शूटरों को भी तैनात करती है, ये Camouflage सैनिक खुद को घंटों तक छिपाते हैं और आतंकवादियों को आश्चर्यचकित कर के उनपर हमला करते देते हैं.


पीओके से घुसपैठ की वारदात


नियंत्रण रेखा पर यह सेना के जवानों की पूरे दिन एक्शन रहती है मगर रात को भी यह जवान आराम नहीं करते ज़ी न्यूज की टीम LOC के फॉरवर्ड लोकेशन पर सेना की रात गश्त में भी शामिल रही. सेना दिन के समय एलओसी पर कड़ी नजर रखने के अलावा रात के समय और ज्यादा सक्रिय रहते है क्यूकी इस इलाके में आतंकी घुसपैठ का रात में ज्यादा संभावना रहती है. आतंकवादी आमतौर पर अंधेरे या खराब मौसम के दौरान पीओके से घुसपैठ करते हैं लेकिन सेना के जवान रात के समय भी अपने सरप्राइज गश्त के साथ तैयार रहते हैं. नवीनतम निगरानी तकनीक और लगातार गश्त का उपयोग करके सेना रात के समय पूरे एलओसी क्षेत्र पर हावी रहती है.


सेना के बहादुरों का बलिदान


एलओसी के इस माछिल घाटी में सेना ने 11,115 फीट की ऊंचाई पर सबसे ऊंचा तिरंगा लगाया है, जो पीओके और कुपवाड़ा मुख्य इलाके से आसानी से दिखाई देता है. राष्ट्रीय प्रतीक के साथ राष्ट्रीय ध्वज यहां दो बहादुर सेना अधिकारियों कर्नल जोजन थॉमस और नायक नरेश सिंह की याद में स्थापित किया गया है, जिन्होंने वर्ष 2008 और 2014 के दौरान इस क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान दे दी थी और फिर उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया और उनके नाम पर इस स्थान का नाम 'नाज़ ए हिंद' रखा गया है. सेना के बहादुरों के बलिदान के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से एलओसी के शमशाबरी रेंज में इस स्थान को पिब्लिक के लिए खोल दिया गया है.