4 घंटे के नोटिस पर क्यों हुआ Lockdown? सरकार ने दिया जवाब
सरकार ने यह भी बताया कि अगर लॉकडाउन न होता तो फिर 14 से 29 लाख ज्यादा संक्रमण के मामले आते, वहीं 37-78 हजार ज्यादा मौतें होतीं.
नई दिल्ली: देश में सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर मार्च में हुए लॉकडाउन को लेकर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मंगलवार को सवाल उठाया तो केंद्र सरकार ने लिखित में जवाब दिया. सरकार ने कहा कि दुनिया के कई देशों के अनुभवों को देखने के साथ विशेषज्ञों की सिफारिश पर यह कदम उठाया गया. लोगों की आवाजाही से देश भर में कोरोना फैलने का खतरा था.
दरअसल, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पूछा था, 'वे कारण क्या हैं, जिनकी वजह से 23 मार्च को मात्र चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन लगाया गया. ऐसी क्या जल्दी थी कि देश में इतनी कम अवधि में लॉकडाउन लगाया गया. क्या लॉकडाउन कोविड 19 रोकने में सफल रहा है?'
11 मार्च को कोरोना वैश्विक महामारी घोषित
इस पर गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सरकार की तरफ से लिखित जवाब में कहा कि 7 जनवरी को कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद सरकार ने कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए कई उपाय किए थे, जिनमें अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर रोक, जनता को एडवाइजरी, क्वारंटीन सुविधाएं आदि शामिल हैं. डब्ल्यूएचओ ने 11 मार्च 2020 को कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया था.
लोगों की किसी भी बड़ी आवाजाही ने देश के सभी हिस्सों के लोगों में बीमारी को बहुत तेजी से फैला दिया होता. लिहाजा वैश्विक अनुभव और देशभर में विभिन्न रोकथाम उपायों को देखते हुए देश में कोरोना रोकने के लिए 24 मार्च को एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी.
क्या लॉकडाउन सफल रहा?
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि देशव्यापी लॉकडाउन लगाकर, भारत ने कोविड के आक्रामक प्रसार को सफलतापूर्वक विफल कर दिया. लॉकडाउन ने आवश्यक अतिरिक्त स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को विकसित करने में देश की मदद की. मार्च 2020 की उपलब्धता की तुलना में आइसोलेशन बेडों में 22 गुना और आईसीयू बेडो में 14 गुना की बढ़ोतरी हुई. वहीं प्रयोगशालाओं की क्षमता भी दस गुना बढ़ाई गई.
सरकार ने यह भी बताया कि अगर लॉकडाउन न होता तो फिर 14 से 29 लाख ज्यादा संक्रमण के मामले आते, वहीं 37-78 हजार ज्यादा मौतें होतीं.
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(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस)