CRPF के जिन जवानों को हुई जिंदा जलाने की कोशिश, अब उन्हीं से पुलिस कर रही है पूछताछ
आरोपी की तरह पुलिस के सवालों का सामना कर रहे हैं पत्थरबाजों की बहशियत का सामना करने वाले CRPF के कमांडेंट और पांच जवान. नौहट्टा में घटित इस वहशियाना वारदात में CRPF के कमांडेंट सहित छह बल सदस्यों को पत्थरबाजों ने जलाने की कोशिश की थी.
नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों के लिए बड़ी दुविधा की स्थिति है. घाटी में उनको अपने लिए एक तरफ खाई नजर आती है तो दूसरी तरह कुआं दिखाई देता है. आलम यह है कि आतंकियों के हमदर्द उनको चोट पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, वहीं दूसरी तरफ आतंकियों के हमदर्दों के बीच से किसी तरह अपनी जान बचाकर निकले CRPF के जवानों को मुजरिमों की तरह पुलिस के सवालों का सामना करना पड़ता है. जी हां, यही है जम्मू कश्मीर में तैनात सुरक्षाकर्मियों की जिंदगानी का एक दर्दभरा सच.
हाल में कुछ ऐसी ही बानगी श्रीनगर से महज चार किलोमीटर की दूरी पर बसे नौहट्टा शहर में हुई घटना में देखने को मिली है. यहां हुई वहशियाना घटना में पत्थरबाजों की भीड़ ने जिप्सी में सवार CRPF के कमांडेंट सहित छह जवानों को जिंदा जलाने की कोशिश की थी. इस मामले में जान लेने पर उतारू पत्थरबाजों के खिलाफ जम्मू कश्मीर पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई तो नहीं हुई, लेकिन किसी तरह से अपनी जान बचाकर निकले इन CRPF कर्मियों के खिलाफ पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत दो FIR दर्ज कर ली. इस FIR में CRPF कर्मियों के खिलाफ धारा 307 (हत्या का प्रयास), 148 (घातक हथियार से दंगा फैलाना) और 279 (भीड़ में ड्राइविंग) के तहत मुख्य तौर पर आरोप दर्ज किए गए हैं.
इसके अलावा, CRPF कर्मियों पर धारा 149, 152, 336 और 427 के तहत भी मामला दर्ज किया गया था. इन्हीं FIR के सिलसिले में गुरुवार को नौहट्टा थाना पुलिस ने CRPF के कमांडेंट, जिप्सी के ड्राइवर और चार अन्य जवानों से लंबी पूछताछ की. सूत्रों के अनुसार पुलिस की पूछताछ का यह पहला चरण था. अब देखना यह है कि पत्थरबाजों की भीड़ से किसी तरह अपनी जान बचाकर निकले CRPF के जवानों को मुजरिमों की तरह जम्मू कश्मीर पुलिस के सवालों का सामना कब तक करना पड़ता है.
सिलसिलेवार जानिए, क्या हुआ था बीते शुक्रवार नौहट्टा के ख्वाजा बैआर इलाके में :
सुरक्षाबल से जुड़े सूत्रों के अनुसार, एक जून को CRPF की 28वीं बटालियन की दो कंपनियों की तैनाती सेकेंड इन कमांड (कमांडेंट) एसएस यादव के नेतृत्व में नौहट्टा की कानून-व्यवस्था को बरकार रखने के लिए की गई थी. शुक्रवार (1 जून) की दोपहर कमांडेंट एसएस यादव अपनी सरकारी बुलटप्रूफ जिप्सी से डिप्लॉयमेंट के निरीक्षण के लिए निकले हुए थे. दोपहर करीब 3:45 बजे कमांडेंट एसएस यादव की जिप्सी जैसे ही नौहट्टा के ख्वाजा बैआर इलाके में पहुंची, पहले से मौजूद 400 से 500 पत्थरबाजों की भीड़ ने गाड़ी पर हमला कर दिया.
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कमांडेंट की जिप्सी को बुरी तरह से किया क्षतिग्रस्त
सुरक्षाबल से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पत्थरबाजों की इस भीड़ ने कमांडेंट एसएस यादव की जिप्सी पर हमले के लिए हर उस चीज का इस्तेमाल किया, जो उस समय मौके पर मौजूद थी. इन चीजों में लोहे की रॉड, डंडे, फर्नीचर, साइकिल सहित अन्य सामान भी शामिल था. पत्थरबाजों ने अपने इस हमले में कमांडेंट की जीप का बुलटप्रूफ ग्लास, आइरन ग्रिल, साइड मिरर और फॉग लाइन को बुरी तरह से चकनाचूर कर दिया. वहीं जीप के अंदर बैठे CRPF के ड्राइवर, कमांडेंट एसएस यादव और उनकी सुरक्षा के लिए मौजूद चार अन्य जवानों को लहुलुहान करने के इरादे से पत्थरबाज लगातार बड़े-बड़े पत्थर जिप्सी पर फेंकते रहे.
कमांडेंट को जिप्सी से बाहर खींचने की भी हुई कोशिश
सुरक्षाबल से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पत्थरबाजों की भीड़ का जब इतने से भी दिल नहीं भरा, तो उन्होंने जिप्सी का दरवाजा खोलने की. पत्थरबाज जिप्सी में जिस तरफ कमांडेंट एसएस यादव बैठे थे, उस तरफ का दरवाजा एक बार खोलने में भी कामयाब हो गए. जिप्सी का गेट खुलते ही पत्थरबाजों की भीड़ ने कमांडेंट एसएस यादव को गाड़ी से बाहर खींचने की कोशिश शुरू कर दी. गनीमत रही कि गाड़ी के अंदर मौजूद जवान और कमांडेंट एसएस यादव जिप्सी के गेट को फिर से बंद करने में कामयाब हो गए. जिप्सी का गेट बंद होते ही उसे अंदर से पूरी तरह से लॉक कर दिया गया. जिसके चलते पत्थरबाज दोबारा गेट को खोलने में नाकाम रहे.
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नाकाम पत्थरबाजों ने की जिप्सी में आग लगाने की कोशिश
सुरक्षाबल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इंटेलीजेंस द्वारा दी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि जिप्सी का गेट न खोल पाने की नाकामी ने पत्थरबाजों को बुरी तरह से झुंझला दिया. वह किसी भी तरह जिप्सी में बैठे CRPF के अधिकारी और जवानों को अपना शिकार बनाना चाहते थे. इसी बीच, कुछ पत्थरबाजों ने जिप्सी को आग के हवाले करने की कोशिश भी की. पत्थरबाज अपनी इस कोशिश में कामयाब रहते तो शायद जिप्सी के भीतर मौजूद CRPF के कमांडेंट और जवानों का गाड़ी के भीतर से जिंदा निकलना नामुमकिन सा था. शायद, पत्थरबाजों की भीड़ ने अपने दिल में यही मंसूबा पाल रखा था.
जान बजाने के लिए ड्राइवर ने दौड़ाई जिप्सी
सुरक्षाबलों के सूत्रों के अनुसार, पत्थरबाजों की भीड़ के जानलेवा मंसूबों को भांपने के बाद CRPF के ड्राइवर के पास जिप्सी को वहां से भगाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा था. उसने उस समय वह ही किया, जो उसके दिमाग को सूझा. उसने जिप्सी में मौजूद करीब आधा दर्जन जिंदगियों को बचाने के लिए पूरी रफ्तार से जिप्सी को भगाना शुरू कर दिया. पत्थरबाजों ने CRPF की जिप्सी का तब भी पीछा नहीं छोड़ा. जिप्सी को रोकने के लिए पत्थरबाजों ने हर वह कोशिश की, जो उस समय वह कर सकते थे. किसी ने जिप्सी पर पत्थर फेंका, तो किसी ने उसके ऊपर लोहे की रॉड, जब इससे भी बात नहीं तो किसी जिप्सी पर साइकिल से वार कर रोकने की कोशिश की. इसके अलावा भी बहुत से चीजें थी, जिनकों जिप्सी को रोकने के लिए इस्तेमाल किया गया.
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पत्थरबाजों ने किया सीआरपीएफ की जिप्सी का पीछा
सुरक्षाबलों के सूत्रों के अनुसार, CRPF की जिप्सी को अपनी जद से दूर जाता देख कुछ पत्थरबाजों ने अपनी गाड़ियों से लंबी दूरी तक पीछा भी किया. कई गाड़ियों में लदे पत्थरबाजों को अपने पीछे आता देख CRPF के ड्राइवर ने जिप्सी की रफ्तार बढ़ा दी. इसी दौरान जिप्सी की चपेट में तीन पत्थरबाज आ गए. इन तीनों पत्थरबाजों को गंभीर रूप से जख्मी हालत में सौरा के SKIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया.
जान लेने का इरादा होता तो AK-47 का भी कर सकते थे इस्तेमाल
सुरक्षाबल के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, नौहट्टा में जिप्सी की चपेट में तीन पत्थरबाजों का आना पूरी तरह से आत्मरक्षा के लिए किए गए प्रयासों के दौरान हुए हादसे से ज्यादा नहीं हैं. उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में नौहट्टा एक ऐसी जगह है, जहां पर सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की घटना प्रत्याशित सी बात हो गई है. सभी को पता है कि सुरक्षाबल का कोई भी वाहन नौहट्टा शहर में जाएगा, तो पत्थर खाए बिना वहां से वापस नहीं आएगा. ऐसे में सुरक्षाबल का हर अधिकारी और जवान यह मान कर नौहट्टा जाता है कि उसे पत्थर की मार सहकर ही वापस आना है. उन्होंने बताया कि घटना के समय CRPF के सभी जवान AK-47 जैसे हथियारों से लैस थे. उनका इरादा जान लेने का होता तो वह जान बचाने के लिए पत्थरबाजों पर गोली भी चला सकते थे, लेकिन आखिर तक उन्होंने ऐसा नहीं किया. इससे साफ होता है कि जिप्सी में मौजूद CRPF के किसी भी बल सदस्य का इरादा किसी की जान लेना बिल्कुल नहीं था.