Home Minister Amit Shah: मुस्लिम धर्मगुरुओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी, सचिव नियाज फारूकी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी और प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने किया.


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नियाज फारूकी ने बताया कि शाह से उनके आवास पर मंगलवार रात मुलाकात हुई और इस दौरान सरकार एवं मुस्लिम समुदाय के बीच ‘भ्रम एवं गतिरोध’ को दूर करने, रामनवमी के पर्व के दौरान देश के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), समान नागरिक संहिता, कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण खत्म किया जाना, वक्फ संपत्तियों का संरक्षण, कश्मीर की वर्तमान स्थिति, ‘मीडिया के एक हिस्से में इस्लाम विरोधी रुख’ समेत 14 बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई.


‘एक अलग अमित शाह’
मीडिया से बात करते हुए नियाज फारूकी ने कहा, ‘यह उससे अलग अमित शाह थे, जिन्हें हम राजनीतिक भाषण देते देखते हैं. उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, उन्होंने हमें विस्तार से सुना, वह इनकार के मूड में नहीं थे.‘उन्होंने कहा कि बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में सांप्रदायिक हिंसा की हाल की घटनाएं बैठक में चर्चा के प्रमुख विषयों में से एक थीं.


ये घटनाएं, जिनमें से कई गैर-बीजेपी शासित राज्यों में हुईं, रामनवमी के जुलूसों के दौरान हुईं. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि उनकी रैलियों पर हमला किया गया था, विपक्षी दलों ने कहा है कि यह बीजेपी थी जिसने राजनीतिक लाभ के लिए हिंसा को अंजाम दिया.


नालंदा की घटना पर चर्चा
फारुकी ने कहा कि मुस्लिम नेताओं ने बिहार के नालंदा में एक मदरसे में आग लगाने की घटना को भी उठाया. राजस्थान के भरतपुर निवासी जुनैद और नासिर की हत्या पर भी चर्चा हुई. नासिर (25) और जुनैद (35) का 15 फरवरी को गो रक्षकों ने कथित तौर पर अपहरण कर लिया था. उनके शव अगली सुबह हरियाणा के भिवानी में एक जली हुई कार के अंदर पाए गए थे.


फारूकी ने बताया, ‘हमने गृह मंत्री के समक्ष कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को मिले चार फीसदी आरक्षण को खत्म करने का विषय उठाया. इस पर गृह मंत्री ने कहा कि पहले की सरकार में यह गलती हुई थी कि सभी मुसलमानों को पिछड़े वर्ग की श्रेणी में डाल दिया गया था और पिछड़े वर्ग के मुसलमानों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है.’


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